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________________ 'अमेरिका के लोग जिसे 'चन्द्र' समझ रहे और पृथ्वी की दूसरी ओर चन्द्र हो गया हैं और जहां पहुंचने का दावा किया है, ऐसा स्पष्ट दिखाई देता है, तो चन्द्र के वह वास्तव में 'चन्द्र' नहीं परन्तु पृथ्वी का क्षितिज पर पृथ्वी दिखाई देती है अषा ही कोई भाग है और यह भ्रम भी भारतीय पृथ्वी के क्षितिज पर चन्द्र दिखाई देता है तत्व वेत्ता स्पष्ट कर रहे हैं और कुछ ज्ञान के इन में वास्तविकता क्या हैं ? चन्द्र की द्वारा यह स्पष्ट हो ही जाएगा। प्रदक्षिणा करने वाले चन्द्र और पृथ्वी के ___ क्योंकि विज्ञान पूर्ण रुपेण स्थिर भूमि बीच आए तो चित्र कैसे आ सकता है ? पर खड़ा नहीं हो पाया है, केवल जोशीले ___'दूसरी वात ! कैमरे के लेन्स गोल होते प्रचार कर कि-'हम चन्द्रमा पर पहुंच गये है। कोई भी ऐसा कैमरा आज तक नहीं हैं और वहां मिट्टी के सिवा कुछ भी नहीं बना है जिसमें कि कैमरे के लेन्स चौखट है,' भारतीय मान्यताओं पर ठेस पहुंचाना है। ___ क्योंकि भारतीय-शारों में चन्द्रमा को हो, अतएव गोल लेन्स होने से एक क्षितिज बहुत सुन्दर बतलाया गया है, 'भारत' के का गोल फोटो कदाचित आ. भी सकता है। 'कालीदास' एवं 'भवभूति' सरीखे बेजोड़ परन्तु चन्द्र की किसी भी अमण कक्षा में कवियों ने चंद्र का वर्णन बहुत बार अपने रह कर यह फोटो लिया गया हो ऐसा किसी भी रुप में ज्ञात नहीं होता और मानने में काव्यों में किया है। ___(11) भारतीय-वेद, वेदांग और जैनागमें। भी नहीं आता तो यह कैसे संभव हुआ ? में चंद्रमा के बारे में विभिन्न दृष्टियों से इससे यह स्पष्ट है कि जो भी चित्र विचार-विमर्श हुआ है, 'सूर्य प्रज्ञप्ति, चंद्र विदेशी मैगजीनों में दिखाये गये में चन्द्रमा प्रज्ञप्ति' जैसे प्राचीन जैन अन्यों तथा 'वेदों के नहीं है । . में वर्णित वर्णन से भी यहीं प्रमाणित होता (13) एपोलो 11 से पहले 8,9,10 भी है कि 'एपोलो चंद्र की ओर नहीं गया' । भेजे गये. परन्तु प्रत्येक समय अवकाश (1) जहां तक पृथ्वी के एवं चंद्रमा ___ यात्रियों के पृथक्-पृथक् कथन दिये । . के चित्र तथा चंद्रमा की धरती से पृथ्वी के चित्र कादि का जो उल्लेख किया जाता है --- किसी ने कहा-'चंद्रमा पर सपाट उन चित्रों की बारीकियों का अध्ययन भूमि है" किसी ने कहा 'बहुत बड़े सबसे फोटोग्राफी कला के अनुसार किया जाय तो है, किसी ने कहा-'शान्त ज्वालामुखी है, ऐसे चित्र नहीं आ सकते । किसी ने 'रेतीले सागर का होना' बताया। __ क्योंकि चंद्र के सामने कैमरा हैं और यह स्पष्ट है कि चांद पर नहीं पहुके . उसके बीच पृथ्वी का बड़ा भाग और चंद्र परन्तु जो भी जानकारी इनको. लिमिन्न का छोटा भाग दिखाई देता है, अर्थात् पृथ्वी एपोलो से मिली वह किसी अज्ञात पृथ्वी के की एक ओर से यह फोटो लिया गया हो टुकडे की थी। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005570
Book TitleJambudwip Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhaman Jain Pedhi
PublisherVardhaman Jain Pedhi
Publication Year
Total Pages202
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size5 MB
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