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फैल गया है । बीच २ में अनेक द्वीप है, इस प्रकार जैनसिद्धान्तके अनुसार जिस में एशिया, यूरोप, अमेरिका, एफ्रिका संक्षेपसे पृथ्वीका वर्णन किया । इसका और आस्ट्रेलिया प्रधान हैं।
सविस्तर वर्णन यदि किसी भाई को देखना .. इस ही उपसागरके दक्षिणभागको एन्टार्टिक हो तो त्रिलोक सीरादिक ग्रन्थोंसे जानना । पश्चिम भागको पैसिफिक, उत्तर भाग को आर्टिक _ पृथ्वीको गेंदके समान गोल तथा गतिऔर पश्चिम भागको एटलटिक कहते है, इस मान करने वाले हेतु और भी यदि किसी पृथ्वीसे ७९. योजनकी ऊंचाई पर ज्योतिष है। महाशय के पास हो सो वे कृपा करके हमको या
मनुष्य लोकके उपर ज्योतिषचक्र सुमेरु- श्री जैनतत्त्व प्रकाशनी सभाको लिखें। पर्वत की चारों ओर प्रदक्षिणा करता है और यथाशक्ति उनको उत्तर देनेका यत्न किया आगेका जहां तहां स्थिर है ।
जायगा । विज्ञप्वलम् ।
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