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________________ कालप्रभाव की विशिष्ठ असर ले. पू. आ. श्री. विजयानंद सूरीश्वरजी म. (आत्मारामजी म.) पू. आचार्य देवश्रीए जैन तत्त्वज्ञाननु सविस्तर युक्तिबद्ध वर्णन, विवेचन अने स्वरूप दर्शन "तत्त्व निर्णय प्रासाद" नामे प्रथमां लगभग सवासो वर्ष पूर्व बहु सुंदर रीते करेल. ते ग्रंथ पृष्ठ (६२५ थी ६२९) ना ३४मा स्तम्भमांथी जिज्ञासु-वांचकोना लाभा उपयोगी भाग अहिं अक्षरशः साभार उद्धृत कर्यो छे. सं. 'कहा है दुसमनामा अवसर्पिणीकालके पांचमे रस-वीर्य घटनेसे पुरुषादिकांकी अवगाहना आरे (हिस्से) में गाम प्रायः मसाणसरिखे आयुभी घटने लगी, सो अबतक तथा आगे होवेंगे, यह क्षेत्रके गुणोकी हानि जाननी और कितनेक कालतक घटती जायगी । क्रमसे कालमें भी यह वक्ष्यमाण होवेगी, सोही घटते हमारे समयतक असंख्य वर्ष गुजर बताये है। चुके हैं, लाखों-करोडों वर्षों के व्यतीत होनेसे । समय-समय में अन ते अनंते द्रव्य- थोडी २ घटते २ हमारे समयमें थोडी अवपर्यायोंके वर्ण आदिशब्दसे रस, गंध, गाहनाका होना संभवित है। स्पर्श, जो जो शुभ-शुभतर है, उनकी हानि इस कालमें जो नही मानते है वे क्या ? होवेगी, परंतु अहोरात्र तावन्मात्रही रहेगा. असंख्य काल, असंख्य वर्ष, अतीतकालका ... दुसमकालके प्रभावसे साधुओंके योग्य पूरा पूरा स्वरूप देख आए हैं जो नही क्षेत्र प्रायः 'दुर्लभ होवे गे, और सुकालमें भी मानते हैं ? साधुओं के योग्य भिक्षा दुर्लभ होवेगी, अब अतीतकाल में पुरुषादिकांके शरीर दुर्भिक्ष और राज्यादि उपद्रव वारंवार होवेंगे. बडे २ कद्दावर थे, इस कथन उपर हम तथा दुसमकालके प्रभावसे औषधि थोडासा प्रमाण भी लिखते है। अन्नादिकोंके बलकी तथा रसादिककी हानि, ___ सन १८५० ई. में मार (हाडपिंजर) होवेगी, और तिसकरके मनुष्यों के आयु निकलेथे, उनमें दांत जडबेका हाड, आदमी के पग बुद्धि, आदि शब्दसें अवगाहना, बल-पराक्रमा- जितना लंबा था, और एक बुशल अर्थात् दिकों की भी हानि होवेगी, इत्यादि अवस- चौवीस (२४) सेर पक्के गेहू तिसकी लोपपिणीका वर्णन किया है रीमें समा सकते थे, एक २ दांतका वजन सो अवसर्पिणीकाल प्रथम आरेसे पउणा आंउसा (कुछक न्यून दो तोले) प्रारंभ हुआ है, तबसे भूमिआदि पदार्थोके प्रमाण था । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005570
Book TitleJambudwip Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhaman Jain Pedhi
PublisherVardhaman Jain Pedhi
Publication Year
Total Pages202
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size5 MB
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