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________________ क्योंकि वास्तविकतामें उपादान कारक के और आकाशको अपनी प्रवीणतासें तान रुपमें किसीभी पदार्थ का उपयोग नहीं किया दिया है.१२ गया, किन्तु परमेश्वरने निमित्त-कारक बनकर इन तथ्यों से स्पष्ट है किअपने वचनों के द्वारा ही सृष्टिका सृजन किया. "पृथ्वीका रचयिता परमेश्वर ही है." पृथ्वी की रचना क्यों की गइ ? मसीही धर्म में नये नियमसें ये तथ्य ___किसी भी वस्तुकी रचना की पीछे प्रयोजन प्राप्त होते है. होता है मसीही धम में पृथ्वीको रचनाका पौलस कुलुस्सियों की पत्रीमें लिखता भी उद्देश्य है. है कि____ पुराने नियमकी धर्म पुस्तक-यशय्याह "वही सब वस्तुओं में प्रथम है. और में इस उद्देश्यकी और संकेत किया है. सब वस्तुयें उसीमें स्थिर रहती है."१३ ___ "वहां कहा गया है कि-" उसने उसे मसीही धर्म में पुराना नियम इस तथ्य (पृथ्वी) सुनसान रहने के लिए नहीं, परंतु पर भी प्रकाश डालता है किबसने के लिए रचा है९ पृथ्वीकी रचना बुद्धिमत्ता के आधार पर पृथ्वी की रचना सामर्थ्य के द्वारा की गई है. पृथ्वी की रचना परमेश्वरके सामर्थ्य द्वारा क्योंकि दिनरातका होना, ऋतुओं का संभव हुइ है और उसी सामर्थ्य द्वारा पृथ्वी क्रमानुसार बदलना आदि समस्तकार्य इस अस्तित्वमें आइ है. तथ्यकी पुष्टि करते है कि संसारमें समन्वय . .. यशय्याह स्पष्ट कहता है कि- ही दिखाई पडता हैं. "पृथ्वी को अपनी ही शक्ति से फैलाया नीतिवचनका लेखक कहता है कि . “यहोवाने पृथ्वीकी नींव बुद्धि ही से धिर्मयाह भी इसी प्रकारका कथन करता डाली और स्वर्गको समज ही के द्वारा स्थिर है. वह कहता है कि किया.१४ __ "उसीने पृथ्वीको अपनी ही सामर्थ्यसे यहीं नहीं पृथ्वीके रचनाके बाद भी पृथ्वी बनाया"११ ___ और आकाश आदि सभी परमेश्वरकी आज्ञा एक और अन्य स्थान पर कहता है कि- मानत है. "उसीने पृथ्वीको अपनी सामर्थ्यसे बनाया यशय्याह परमेश्वर ही के वचनों को उसने जगतको अपनी बुद्धिसे स्थिर किया. लिखता है कि९ यशय्याह - ४५-१८ १२ थिम याह - १०-१२ १० यशय्याह - ४४-२४ १३ कुलुस्सियोकीपत्री- १-१७ ११ भिम याह - ५१-१५ १४ नीति वचन ३-१९ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005569
Book TitleJambudwip Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhaman Jain Pedhi
PublisherVardhaman Jain Pedhi
Publication Year
Total Pages250
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
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