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________________ 38$$$$ssseegsco8888888ssessos एक अमेरिकन वैज्ञानिक की दृष्टि में आज के मानचित्रों की त्रुटि-पूर्णता $$$ssess9s9sessssecs98:sssss सच पूछिये तो अब तक जितने मानचित्र बन पाता और ध्रुव को बिन्दु रुप में बनाये गये है, उन में भी कुछ न कुछ त्रुटि नहीं दिखलाया जा सकता. अवश्य रह गई है, जो हमारे ज्ञान के निर्णय लोन प्रणाली मे भी यह दोष है कि में बाधक ही नहीं बनती, अपितु हमें वास्त- ध्रुवके समीप पृथ्वी के भाग परस्पर निकट विकता से दूर ले जाने में भी सहयोग देती हो जाते हैं और भूमध्यरेखा पर बहुत दर । है । यही कारण है कि हम तथ्य के निकट (४) आर्योग्राफिक प्रोजेक्शन-इस में नक्शे के नहीं पहुंच पाते । बीचका भाग ठीक बनता है, किन्तु ____ प्रसंगवश उनका विवरण भी नीचे दिया. किनारे के भाग घने हो जाते है। जाता है। ऊपर-नीचेके भागों में भी त्रुटि रहती है। (१) मकेटर प्रोजेक्शन-यह काफमेन नामक (५) स्टीरियोग्राफिक प्रोजेक्शन-इसमें किनारों जर्मन द्वारा आविष्कृत प्रणाली है। इस का क्षेत्रफल असली क्षेत्रफल से बहुत में उत्तरी भाग अपने वास्तविक आकार बढ़ जाता है । से बहुत बड़े हो जाते है. इनके अतिरिक्त पोलीकोनिक और सेन्सन (२) पोलवीक प्रणाली-यह प्रणाली मके टर से प्लेमस्टीक के भी प्रोजेक्शन प्रसिद्ध है, किन्तु बिलकुल उलटी है, इस में भिन्न-भिन्न वे भी दोषपूर्ण है । किसी में क्षेत्रफल, किसी भागों का क्षेत्रफल तो दिखाई पडता है, में आकार और किसी में स्थिति ही गलत है। किन्तु आकार बदल जाता है। ऐसी स्थितिमें 'पृथ्वी के आकार का (३) कोनीकल प्रोजक्शन-इससे ध्रुव के निकट निर्णय' भी दोष ही कहा जायगा । वत्ती ऊंचे अक्षांशो का ठीक नक्शा नहीं जे. मेकडोन्नल (एस्ट्रोलोजिकल मेगेजीन) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005569
Book TitleJambudwip Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhaman Jain Pedhi
PublisherVardhaman Jain Pedhi
Publication Year
Total Pages250
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size6 MB
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