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योजन की दूरी पर लवण समुद्र की वेदी है लवण समुद्र है और उत्तर में ४,७६,००० और उत्तर की तरफ इतनी ही दूर पर विज- मील जाने से विजयाध पर्वत है । उसी या पर्वत की वेदिका है । अयोध्या से प्रकार अयोध्या से पूर्व में ४०००००० मील पूर्व में १००० योजन की दूरी पर गंगा दूर गंगा नदी तथा पश्चिम में इतनी ही नदी की तट वेदी है अर्थात् आर्यखण्ड की दूर पर सिंधु नदी है। दक्षिण दिशा में लवण समुद्र, उत्तर दिशा में आज का सारा विश्व इस आर्यखंड विजया', पूर्व दिशा में गंगानदी एव में ही भारतवर्ष में रहते हैं। पश्चिम दिशा में सिंधु नदी है', ये चारों
स्वयं भूत जिन गेह, आर्य खण्ड की सीमा रूप है।
अकृत्रिम जंबूद्वीप मध्य शोभे । ____ अयोध्या से दक्षिण में ४७६००० मील बंदु अत्तरि जिन मदिर (चार लाख छहत्तर हजार) मील जाने से
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POSSSSCCSCCCCCCCCCCCCCCCC0) RD कुछ लोग ऐसा भी कह देते हैं कि 'जो प्रत्यक्ष प्रमाणित हैं, वही
वास्तविक है, आर जिसके लिए वैसा साध्य नही वह है धारणा रूप ।
किन्तु इसमें भी यह आपत्ति आ सकती है और वह कि आप जिसे प्रत्यक्ष कहते 7 C हैं वह भी अप्रत्यक्ष ही हैं, वहां भी धारणा ने अपना प्रभाव मस्तिष्क पर
जमा रखा है, जिससे धारणा के अनुरूप संयोजना की जाती है।
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