SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 137
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ है, तीन शिवशक्तियों का वर्णन है-१ चितशक्ति बातें स्मरण नहीं रह जाती । यदि अतीत (जो प्रकाश या चेतना के समान है) २. रवा- जीवन की सभी बातें स्मरण होने लगे तो तन्त्र्य एवं ३. आनन्दशक्ति । जब शरीर का हमारा मन व्यामोह में पड जाय । पुनर्जन्म यन्त्र टूट जाता है, तो चेतना प्राण पर अवरोध के सिद्धान्त को मानने वालों का कथन करके आतिवाहिक शरीर द्वारा दूसरे शरीर में है कम एवं पुनर्जन्म के सिद्धान्त में विश्वास • ले जाई जाती है । इसमें कहा गया है कि करने से लोग मानवीय-दुःख के प्रति क्रूर सभी मनुष्य मुक्ति नहीं पाते, किन्तु वे, जो हो जायेंगे और किसी दुःखित-व्यक्ति को दीक्षा, मन्दिरों एवं सत्यज्ञान को घृणा की सहायता नहीं करेंगे । वे सोचेंगे कि दुःख दृष्टि से देखते हैं, नरक में पडते हैं। तो पूर्वजन्मों का फल है । समस्त मानवीय-क्रियाओं के मूल में किन्तु कतिपय-विरोधों के होते हुए भी प्रारब्ध, संस्कार एवं प्रयत्न पाये जाते हैं। शास्त्रों, धार्मिक मान्यताओं तथा दार्शनिक देहपात के उपरान्त परमेश्वर सञ्चित पुण्य विचारधाराओं के अध्ययन से पुनर्जन्म विषयक एवं पाप का फल देना आरम्भ कर देता है धारणा युक्तिसङ्गत प्रतीत होती है। इसी और उममें जो प्रबल होता है, उसी के अनु- प्रसङ्ग में कठोपनिषद् का एक मन्त्र दर्शनीय है.सार यथोचित शरीर का आरम्भ कर देता कि मृत्यु के पश्चात् कुछ लोग वृक्ष के है । जब मिश्र अर्थात् अच्छे-बुरे कर्म अत्य- तने हो जाते हैं और कुछ लोग विभिन्न धिक प्रबल होते हैं, तो व्यवित ब्राह्मण-कुल में शरीर धारण करते हैं। यह सब उनके कम जन्म लेता है, जब पाप-कर्म अधिक प्रबल पर निर्भर होता है । (१२) होता है जो तिर्यक् योनि-में तथा जब पुण्य गीता के दूसरे अध्याय में देही अर्थात् कर्म प्रबल होता है जो देवत्त्व को प्राप्त जीवात्मा को अजन्मा, अमृत, नित्य, शाश्वत होता है । और पुराण कहा गया है । शरीर नष्ट होता ___ कतिपय-विद्वानां ने कम एवं पुनर्जन्म के है, किन्तु शरीरी (आत्मा) नहीं । जिस प्रकार सिद्धान्त के विरोध में अपना मत दिया है। पुराने कपड़े बदल कर हम नये कपड़े पहन पिंगिल पैरिसन के अनुसार पूर्वजीवन की कोई लेते हैं, वैसी ही जीवात्मा एक शरीर का स्मृति नहीं होती, बिना स्मरण के अमरता परित्याग कर दूसरा शरीर धारण कर लेता है। व्यर्थ है । कैननस्ट्रीटर ने कहा है-क्या कोई इस प्रकार अनेक प्रमाणों से यह स्पष्ट अयक्ति अपने जीवन के प्रथम दो वर्षों की हो जाता है पुनर्जन्म विषयक धारणा शाश्वत पा स्याणा कर लेता है ? अति वृद्ध हो जाने एवं सत्य है । जो लोग इसे नहीं मानते वे पर लोग अपने पौत्रों के नाम ठीक से स्मरण नहीं कर पाते । अपने गत जीवन में दस वर्ष अज्ञानतावश ही ऐसा कहते हैं । पूर्व क्या ।कया ? वास्तविक रुप से यह सारी समाप्त Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005568
Book TitleJambudwip Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhaman Jain Pedhi
PublisherVardhaman Jain Pedhi
Publication Year
Total Pages190
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy