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________________ शास्त्रोंमे पुनर्जन्म -डॉ. (कु.) सत्यभामा श्रीवास्तव लखनऊ उदात्त भावना प्राचीन काल में बहुत से देश पुनर्जन्म में धर्म अपने में एक व्यापक शब्द है, जो विश्वास करते थे । हेरोडोटस का कथन है सामने आते ही किसी जाति या समाज के कि कुछ यूनानियों ने उस सिद्धान्त का प्रयोग जीवन की भूमिका तथा उसका इतिहास प्रस्तुत अपना समझ कर किया, किन्तु सर्वप्रथम मिस्र करने में समर्थ होता है । 'धर्म' शब्द में देशके निवासियों ने ऐसा कहा कि मानव जाति-विशेष की सभ्यता, संस्कृति, आचार " आत्मा अजर-अमर है, और शरीर की मृत्यु विचार, रहन-सहन, रीति-रिवाज तथा जीवन के उपरान्त वह किसी अन्य जीवित-वस्तु में, प्रणाली की प्रक्रिया और निदर्शन प्रस्तुत होता है जो जन्म लेने वाली होती है, प्रवेश कर जाता है । 'धारणात् धर्म इत्याहुः' के अनुसार धर्म - प्लेटो ने भी आत्मा के पूर्वजन्म और जीवन का मूलाधार है। इसी से मनुष्य को उत्तर-जन्म में विश्वास किया है। प्रेरणा और प्रकाश उपलब्ध होता है । धर्म उपलब्ध होता है । धम' पुनर्जन्म-सम्बन्धी सभी विश्वासों के साथ जीवन की गतिविधि और प्रगति में सहायक कुछ सम्भावनाएं चलती हैं, यथा-(१) मनुष्य होता है । धर्म का क्षेत्र संकुचित न होकर की एक आत्मा होती है जो नित्य और भौतिक अपितु विशद, महान् और उदात्त भावना से शरीर से पृथक् है । (२) अन्य जीवों, जैसेप्रकाशित होता है । __ पशुओं, औषधियों एवं निर्जीव पदार्थों में भी कर्म एवं पुनर्जन्म का सिद्धान्त भारतीय आत्मतत्त्व होता है । (३) मनुष्य एवं निम्नधर्म और दर्शन के मौलिक-सिद्धान्तों में स्तर के पशुओं की आत्मा एक भौतिक-शरीर परिगणित है । शरीर की मृत्यु हो जाने पर से दूसरे में प्रविष्ट हो जा सकती है (४) मनुष्य का क्या होता है ? यह प्रश्न प्रायः आत्मा कर्म करने वाला एवं दुःख को सहने सभी व्यक्तियों के अन्त में उठा करता है। वाला होता है । कर्म के अनुसार ही मनुष्य यह एक विशाल विषय है, जिसने सभी हिंदुओं, पुनर्जन्म ग्रहण करता है । ऋग्वेद में अग्नि जैनों तथा बौद्धों को प्रभावित किया है। से प्रार्थना की गई है कि वह मृत-व्यक्तियों Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005568
Book TitleJambudwip Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhaman Jain Pedhi
PublisherVardhaman Jain Pedhi
Publication Year
Total Pages190
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size23 MB
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