SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 157
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दिवाकर, दिवाकृत, दिवसपति, दिविस्थित, दिव्यवाह, दिव्यवपुः, दिव्यरुप, धुवृक्ष, दयालु, देहकर्ता, दीधितिमान्, दीप, दीप्तांशु, दीप्तदीधिति, देव, देवदेव, धोत, धोतन, धोतितानल, दिक्पति, दिग्वासा, दक्ष, दिनाधीश, दिनबन्धु, दिनमणि, दिनकृत्, दिननाथ, दुरारध्य, पापनाशन, पावन, भास्वान्, भासंत, भासत, भासित, भावितात्मा, भाग्य, भानु, भानेमि, भानुकेसर, भानुमान्, भानुमान् ( ? ), भानुरुप, बहुदायक, भूधर, भवधोत, भूपति, भूष्य |४००। भूषणोद्भासी, भोगी, भोक्ता, भुवनपूजित, भुवनेश्वर, भूष्णु, भूतादि, भूतांतकरण, भूतात्मा, भूताश्रय, भूतिद, भूतभव्य, भूतविभु, भूतप्रभु, भूतपति, भूतेश, भूषण, भयांतकरण, भीम, भीमत, भग, भगवान्, भक्तवत्सल, बहुमंगल, बहुरुप, भृताहार, भिषग्वर, बुद्ध, बुद्धिवर्द्धन, ब्रघ्न, पद्महस्त, पद्मपाणि, पद्मबन्धु, पद्मयोगी, पद्मयोनि, पद्मोदरनिभानन, पद्मेक्षण, पद्ममाली, पद्मनाभ, पद्मिनीश, विभावस, विचित्ररथ, पूतात्मा, पवित्रात्मा, पूषा, व्याममणि, पीतवासा, पक्षबल, बलभृत्, बलप्रिय, बलवान्, बली, बलीनांवर, पिनाकधृक्, बिन्दु, बंधु, बंधहा, पुंडरीकाक्ष पुण्य-संकीर्त्तन, पुण्यहेतु, पर प्राप्तयान, परावर, परावरज्ञ, परायण, प्राज्ञ, पराक्रम, प्राणधारक, प्राणवान्, प्रांशु, प्रसन्नात्मा, प्रसन्नवदन, ब्रह्मा, ब्रह्मचर्यवान्, प्रधोत, प्रधोतन, प्रभावन, प्रभाकर, प्रभंजन, परप्राण, परपुरंजय, प्रजाद्वार, प्रजापति, प्रजन, पर्जन्यप्रिय, प्रियदर्शन, प्रियकारी, प्रियकृत्, प्रियंवद, प्रियंकर, प्रयत, प्रीतति, प्रयतात्मा, प्रीतात्मा, प्रयतानंद, प्रीतिमना, प्रकाशन, ।५००। पुरुषोत्तम, प्रकृति, प्रकृतिस्थिति, प्रलंबहार, परमोदार, परमेष्ठी, पुरंदर, प्रणतार्त्तिहा, प्रणतार्तिहर, परंतप, प्ररेता, प्रशांत, प्रशम, प्रतापन, प्रतापवान्, पृथ्वी, प्रथित, प्रत्यूह, वृषाकपि, पुरुष, वृषध्वज, विश्व, विश्वामित्र, विश्वंभर, पशुमान्, विश्वतापन, पिता, पितामह, पतंग, पतंग, पितृद्वार, पुष्कलनिभ, वषट्कार, ज्यायान्, जामदग्ज्यजित्, चारुचरित, जाठर, जातवेदा, छंदवाहन, योगी, योगीश्वरपति, योगनित्य, योगतत्पर, ज्योतिरीश, जय, जीव, जीवानन्द, जीवन, जीवनाथ, जीमूत, जनप्रिय, जेता-जगत्, युगादिकृत्, युग, युगार्त्तव, जगदाधार, जगदादिज, जगदानन्द, जगद्दीप, जगज्जेता, चक्रबंधु, मन्त्र संसार सारं... Jain Education International " For Personal & Private Use Only ૧૫૫ www.jainelibrary.org
SR No.005565
Book TitleMantra Sansar Saram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandrodaya Charities
Publication Year2012
Total Pages212
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy