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सप्तिमान्, सप्तसप्ति, सप्ततुरंग, स्वस्वाहाकार, सुवाहन, स्वाहाभुक्, स्वाचार, सुवाक्, सुसंयुत्क, सुस्थित स्वजन, सुवेश, सूक्ष्म, सूक्ष्मधी, सोम, सूर्य सुवर्चा, सुवर्ण, स्वर्ण, स्वणरिता, सुविशिष्ट, सुवितान, सैंहिकेयरिपु, स्वयंविभु, सुखद, सुखप्रद, सुखी, सुखसेव्य, सुकेतन, स्कंद, सुलोचन, समाहितमति, समायुत्क, समाकृति, सुमहाबल, समुद्र, सुमूर्ति, सुमेधा, सुमनाः, सुमनोहर, सुमंगल, सुमति, सुमत, सुमतिंजय, सनातन, संसारार्णवतारक |२००। संसारगतिविच्छेत्ता, संसारतारक, संहर्त्ता, संपूरण, सम्पन्न, सम्प्रकाशक, सम्प्रतापन, सज्चारी, सग्जीवन, संयम, संविभाग्य, संवर्त्तक, संवत्सर, संवत्सरकर, सुनय, सुनेत्र, सड्कल्प, सड़कल्पयोनि संतापन, संतापनकृत्, संतपन, सुराध्यक्ष, सुरावृत, सुरारिह, सुरारि, सर्वसद, स्वर्भानु, सर्वद, सर्वदर्शी, सर्वप्रिय, सर्ववेदप्रगीतात्मा, सर्ववेदालय, सर्वरत्नमय, सुरपूजित, सर्वलोकप्रकाशक, सुरपति, सर्वशत्रुनिवारण, सर्वतोमुख, सर्व, सर्वात्मा सर्वस्व, सर्वस्वी, सर्वद्योत, सर्वधुतिकरः सर्वजितांबर, सर्वोदधिस्थितिकर, सर्ववृत, सर्वमदन, सर्वप्रहरणायुध, सर्वप्रकाशक, सर्वग, सर्वज्ञ, सर्वकल्याणभाजन, सर्वसाक्षी, सर्वशस्त्रभृतांबर, सुरेश, सर्ग, सर्गादिकार सुरकार्यज्ञ ||३|| स्वर्गद्वार, स्वर्गप्रतनर्द्दन, सृग्वी, सुरमणि, सुरनिभाकृति, सुरश्रेष्ठ, सृष्टि, स्त्रष्टा, श्रेष्ठात्मा, सृष्टिकृत् सृष्टिकर्त्ता, सुरथ, सित, स्थावरात्मक, स्थानस्थूलद्दक्, स्थविर, स्थित, स्थेय, स्थितिमान्, स्थितिहेतु, स्थिरात्मक, स्थितिस्थेय, स्थितिप्रिय, सुतप, सत्त्व, स्त्रोत्र, सत्यवान्, सत्य, सत्यसंधि, हुव, होम, होमांतकरण, होता, हयग, हेलि, हिमद, हंस, हर, हरि, हरिदश्व | ३०० | हरिप्रिय, हर्यश्व, हरी, हिरण्यगर्भ, हिरण्यरेता, हरिताश्ध, हुत, हुताहुति, धोः, दुःस्वप्ना-शुभनाशन, धराधर, धाता, ध्वांतापह, ध्वांतासूदन, ध्वांतविद्वेषी, ध्वांतहा धूमकेतु, धीमान्, धीर, धीरात्मा, धन, धनाध्यक्ष, धनद, धनंजय, धन्वन्तरि, धन्य, धनुर्धर, धनुष्मान्, ध्रुव, धर्म्म, धर्म्माधर्म्मपप्रवर्त्तक, धर्माधर्म्मवरप्रद, धर्म्मद, धर्म्मध्वज, धर्म्मवृक्ष, धर्म्मवृत, धर्म्मवत्सक, धर्मक्तु, धर्मकर्त्ता, धर्मनित्य, धर्म्मरत, धरणिधर, धर्म्मराज, धृतातपत्राप्रतिम ( पत्राप्रतिम), धृतिमान्, दिवा, द्वादशात्मा, द्वापर, दिवापुष्ट, दिवापति,
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मन्त्र संसार सारं...
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