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________________ चक्रवर्ती, चक्रपाणि, जगन्नाथ, जगत्, जगतामंतकरण, जगतांपति, जगत्साक्षी, जगत्पति, जगत्प्रिय, जगत्पिता, यम, जनार्दन, जनानंद, चंडकर, जनेश्वर, जंगम, जनयिता, चराचरात्मा, यशस्वी, जिष्णु, जितावरीश, जितवपुः, जितेन्द्रिय, चतुर्भुज, चतुर्वेद, चतुर्वेदमय, चतुर्मुख, चित्रांगद, वासुकि, वासरेशिता, वासरस्वामी, वासरप्रभु, वासरप्रिय, वासरेश्वर, बाह नार्तिहर, वायु, वायुवाहन, वायुरत, वाग्विशारद, वाग्मी, वारिधि ।६००। वारण, वसुदाता, वसुप्रद, वसुप्रिय, वसुमान्, विसृज, ।।५।। विहारी, विह गवाहन, विहंग, विहंगम, विहित, विधि, विधाता, विधेय, वदान्य, विद्वान्, विधोतन, विद्या, विद्यावान्, विद्याराज, विद्युत, विद्युत्वान्, विदिताशय, विपाप्मा, विभावसु, विभव, वचसांपति, विजय, विजयप्रद, विजेता, विचक्षण, विवस्वान्, विविध, विविधासन, वज्रधर, व्याधिहा, व्याधिनाशन, व्यास, बेदांग, वेदपारग, वेदभृत्, वेदवादन, वेदवेध, वेदवित्, वैध, वेदकर्ता, वेदमूर्ति, वेदनिलय, व्योमग, विचित्ररथ, व्योममणि, वेगवान्, विगतात्मा, वीर, बैश्रवण, विगाही, विध्नशमन, विधृण, विग्रह, विकृति, वक्ता, व्यक्ताव्यक्त, विगतारिष्ट, विमल, विमलंधुति, विमन्यु, विमखि(षी), विनिद्र, विराज, विराट, बृहस्पति, बृहत्कीर्ति, बृहज्जेता, बृहत्तेजा, वरद, वरदाता, वृद्धि , वृद्धिद, वरप्रद, वर्चस, विरुपाक्ष, विरोचन, वरीयान्, वरुण, वरनायक, वर्णाध्यक्ष, वरुणेश, वरेण्य-वरेण्यवृत्त, वृत्तिधर, वृत्तिचारी, विश्वामित्र, वृत्ति, वशानुग, विशाष(ख), विश्वेश्वर, विश्वयोनि, विश्वजित्, विश्ववित्, विशोक, विशेषवित्, विष्णु, विश्वात्मा, विश्वभावन, विश्वकर्मा, विश्वनिलय ७००। विश्वरुपी, विश्वतोमुख, विशिष्ट, विशिष्टात्मा, विषाद, यज्ञ, यज्ञपति, काक, काल, कालानलधुति, कालहा, कालचक्र, कालचक्रप्रवर्त्तक, कालकर्ता, कालनाशन, कालत्रय, काम, कामारि, कामद, कामचारी, कांक्षिक, क्रांति, क्रांतिप्रद, कार्यकारणावह, कारुणिक, कार्तस्वर, काश्यपेय, काष्टा, कपि, कुबेर, कपिल, गभस्तिमान्, गभस्तिमाली, कपर्दी, ख, खतिलक, खधोत, खोल्का, खग, खगसत्तम, धर्मांशु, धृणि, धृणिमान्, कवि, कवच, कवची, गोपति, गोविन्द, गोमान्, ज्ञानशोभन, ज्ञानवान्, ज्ञानगम्य, ज्ञेय, केयूर, कीर्ति, कीर्तिवर्द्धन, कीर्तिकर, केतुमान, मन्त्रं संसार सारं... ૧૫૬ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005565
Book TitleMantra Sansar Saram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhushan Shah
PublisherChandrodaya Charities
Publication Year2012
Total Pages212
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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