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आर्द्रकुमार कथा अभयकुमार द्वारा भेट की गई आदिनाथ प्रभु की प्रतिमा से प्रतिबोध प्राप्त करके आर्द्रकुमारने स्व-जन्मभूमि अनार्यदेश (आर्द्रदेश) को त्याग दिया और आर्यभूमि भारत में आकर भगवान महावीर से दीक्षा ग्रहण करके आत्मकल्याण किया । यह कथा ‘हिताहित बोध' का उदाहरण है, देखिये स्तवन गाथा-४ । २५(१८) गुरु महाराज को वंदन करते राजा । २५(१९) आर्द्रकुमार को संदुक देते हुए अभयकुमार के सेवक । २५(२०) गोचरी के लिए विनती करता श्रावक और दान देती हुई श्राविका । २५(२१) श्रावक-श्राविकाओं को उपदेश देते हुए गुरु भगवंत ।
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