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अथ द्वाविंशति श्री नेमिनाथजिन स्तवनम्
|| पद्मप्रभजिन जई अलगा वस्या - ए देशी ||
नेमि जिनेसर निज कारज कर्यु, छांडयो सर्व विभावो जी। आतम शक्ति सकल प्रकट करी, आस्वाद्यो निजभावो जी॥
नेमि ॥१॥
For Persona ४०५
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