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अथ षोडश श्री शांतिजिन स्तवनम्
|| आँखडीए रे में आज शत्रुंजय दीठो रे - ए देशी ||
जगत दिवाकर जगत कृपानिधि, बाहला मारा। समवसरण मां बेठारे। चउमुख चउंविह धर्म प्रकाश. ते में नयणे दीठा रे । भविकजन हरखोरे, निरखी शांति जिणंद, भविक । उपशम रसनौ कंद, नहीं इण सरखो रे ॥१॥
॥ ए आंकणी ॥
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