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अथ दशम श्री शीतलनाथजिन व Pa स्तवनम्
॥ आदर जीव क्षमा गुण आदर – ए देशी ||
शतल जिनपति प्रभुता प्रभुनी, मुझथी कहीय नजाय जी। अनंतता निर्मलता पूर्णता, ज्ञान विना न जणाय जी।
शीतल.॥१॥
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