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काला रात
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नागाश्ववस्वनीमा विद्यतकनीकिनीलो दीन अमायक्कब-नील) उदधिकमास्वेतवनीनदिन स्वेति यवनॐ नीलव- सविता तवास्त
लादता मिसग मिटा वाढदा दिपत्र र शाशदलानयण्तज घासमदाघा सयसम नयारा बुद्दीवंबतं मरुदंडेपॐका जं॥२॥ चखतीमा वचत ती मात्र पमावत्ता कमासा लरकालवणाणदा दिज। चत्र लरक विरूणा । तरावयाच उत्तर दिसायासाद्य विसत्ताकाडी बाबत रितिलरका ||२४||ब चतारी काडी चालकाच्च वदाहिरात दाणा) तिमिव्याका डीजी लरकाबास डिउत्तर ।। २५।। रयणाय विद
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सशिखराकालानामुद दिये अरुणा वाकुपांशुनिला ॥॥२॥ असवाणं| धवलावा करण मंत्र की
सतहद
हमामणि लांबना फणिर
- गरुरु
• वजम कनसय सिदद
वर्धमानाय
लवनपति उत्कृष्ट॥ मध्यम। जघना व्यंतरा उकृष्ट मध्यम जघन्यजायागमदमं विमुक्तात्ततवणा। जंबुद्दीव लवन प्रमंया संध्यान जंहा ग्रहाः अंबधी महावितरत समात दासंस्वमसंविद्यविद्यारा||२६|| छमार खोटयाए। कोमण समान प्रमा० पसम॥ ददसम समन्तडामणिफणगाडा वाघतदकलम मीद रम्मा गया मटार वह माशा। सुराईमा तद सदस्म दिमिघशिया कणगा तविक सिदिदीव रागव वरता। नागाददिविद्यदीवसिहिनीला/दिभिघण दस हिसाब सदस्मा५ रमाईशी मा
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अमोनियामा सुरामदिष॥ ऊईनिवासी सुराहषनाथ
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