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________________ काला रात ५(५) ५(६) ४२६ नागाश्ववस्वनीमा विद्यतकनीकिनीलो दीन अमायक्कब-नील) उदधिकमास्वेतवनीनदिन स्वेति यवनॐ नीलव- सविता तवास्त लादता मिसग मिटा वाढदा दिपत्र र शाशदलानयण्तज घासमदाघा सयसम नयारा बुद्दीवंबतं मरुदंडेपॐका जं॥२॥ चखतीमा वचत ती मात्र पमावत्ता कमासा लरकालवणाणदा दिज। चत्र लरक विरूणा । तरावयाच उत्तर दिसायासाद्य विसत्ताकाडी बाबत रितिलरका ||२४||ब चतारी काडी चालकाच्च वदाहिरात दाणा) तिमिव्याका डीजी लरकाबास डिउत्तर ।। २५।। रयणाय विद ॥ गंभी नर्तकर अ 4(3) Jain Education International सशिखराकालानामुद दिये अरुणा वाकुपांशुनिला ॥॥२॥ असवाणं| धवलावा करण मंत्र की सतहद हमामणि लांबना फणिर - गरुरु • वजम कनसय सिदद वर्धमानाय लवनपति उत्कृष्ट॥ मध्यम। जघना व्यंतरा उकृष्ट मध्यम जघन्यजायागमदमं विमुक्तात्ततवणा। जंबुद्दीव लवन प्रमंया संध्यान जंहा ग्रहाः अंबधी महावितरत समात दासंस्वमसंविद्यविद्यारा||२६|| छमार खोटयाए। कोमण समान प्रमा० पसम॥ ददसम समन्तडामणिफणगाडा वाघतदकलम मीद रम्मा गया मटार वह माशा। सुराईमा तद सदस्म दिमिघशिया कणगा तविक सिदिदीव रागव वरता। नागाददिविद्यदीवसिहिनीला/दिभिघण दस हिसाब सदस्मा५ रमाईशी मा For Personal & Private Use Only प्रवच USSE ISSING सर Our अमोनियामा सुरामदिष॥ ऊईनिवासी सुराहषनाथ www.jainelibrary.org
SR No.005524
Book TitleShrimad Devchandji Krut Chovisi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremal Kapadia
PublisherHarshadrai Heritage
Publication Year2005
Total Pages510
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size114 MB
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