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मयण - धणदेव कहा
तत्तो वि उरं तो कंठ - कंदलं तयणु नासिया बुड्डा । तो धणदेवेण विसाय - निब्भरं सिरिमइ भणिया
एतो परं तुमं किं पिए ! करिस्ससि ? कएण पज्जंतं । बुड्डाए नासिगाए किमुवरि बुड्डइ ण हत्थसयं
तो सिरिमईए तं सलिलमेक्क-घुंटीकयं तहा सव्वं । जह तक्खणेण खोणीयलम्मि दीसइ न बिंदू वि
ता पुव्व-भारियाओ लग्गाओ सिरिमईए चलणेसु । अम्हे जियाओ तुम सत्तीए इमं भणंतीओ
सो धणदेवो अहमेव दुक्कलत्ताण संकडे पडिओ । चिट्ठामि ? किं करेमि ? हय - विहि-दुव्विलसिय-वसेण
एवमकल्लाण-महल्ल-वल्लि - पल्लवण - सलिल - कुल्लाओ । निरयगइ - वत्तणीओ खणदंसिय-पेम- कोवाओ
कवड - कुडुंब कुडीओ विवेय-मत्तंड-मेहलेहाओ । परिहरह बालवालुंकि-वालकुडिलाओ महिलाओ
आसु पसत्ता सत्ता विसयाऽऽमिस - लुद्ध मुद्ध - मइपसरा । अगणिय-व - काका कुणति पावाइं विविहाई
तव्वसओ संसारे चउगइ - परियत्तणाइं कुणमाणा । माणस-सरीर-गुरु-दुक्खभागिणो हुंति चिरकालं
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एवं सिणेह - सब्भाव - गब्भं परोप्परं पयंपमाणाण मयण - धणदेवाण तत्थ समागओ समग्ग-सग्गापवग्ग-मग्ग - देसओ दसविह- सामायारी - निरओ निरयंध - कूव - निवडंतजंतु-संताण-ताणप्पयाण - हत्थावलंबो विमलबोहो नाम सूरी। वंदिऊण जय - गुरुं जुगाइदेवं निविट्ठो तत्थेव । मयण - धणदेवा वि निवडिया गुरुणो चलणेसु । निसन्ना तस्स पुरओ । भणिया य नाण- मुणिय - तच्चरिएण गुरुणा
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