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६३, ६४, ६५- इन मंडलाका स्थान किस जगह पर है
इसका ख्याल देनेवाला चित्र.
૬૪-૬૫ માં મંડળો હરિ ની જીવાકોટિ ઉપર
उ.
या.
निव....पर्वत. हरिपनी
हरिवई.....क्षेत्र
Bाहा
द.
Rat
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आकृति परिचय:-इसमें ६३ या मंडल निपट तक है । ६४ ६५ वाँ मंडल जिस स्थान पर है उसका नाम हरिवर्षकी जीवा कोटी अर्थात जीवा और बाहा के विचका कोण और वाहा ब-क की लंबाईवाली है और एक आकाशप्रदेश बोही है अर्थात् बक के समान दीर्घ कही जा सके, बाहाकी औपचारिक चौडाई अ-ब है, जिसमें जगती तथा हरिवर्ष क्षेत्र भी आये हुए है। चित्रमें मेरुके पूर्व-पश्चिममें सर्वाभ्यन्तर मंडलकी जो अबाधा है उससे कुछ अधिक विस्तृत उत्तर दक्षिणमै समझ लेना ।
... २५ अलोकनी अपेक्षाए लोकमाननी कल्पना
संयवि.
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७५. अलोककी अपेक्षासे लोकमानकी कल्पना 75. Imagination about Lok-maan (proportion of Universe) comparing
to ALOK (अलोक)