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श्री गां ऐसा नमः श्री सारदाऐ नमः श्री जयश्री किरा॥ आदिदे सदा लोग ना सड़को से विसारे दो। बाल कनिषदर मां नंदी व्हा इलियास करोपगाई एनर श्रेणिकनु रास ॥२॥ संसरति भीमनिवरून बकारी आदि नाराज अभय में विद्या शासकले सधि हो। क रावृायनिजमको काम केवल नीरा सीन नाननमानकर इको हातमान में जन पर मानो आगम मोटाक विनमोनारान मनमो
गाना
प
आसी का दीप को ये वे बाके हे देख नगर बलात॥ ॥ प्रथवा जोजन वर्ष ऐकाली दीपजं वृदपथावरीकालाष जोग माली आका राम से पाना २] पाहीला जोजन लाघते दो मत का प्रजल हो । १७८-चार लाघः जो जन नो जाला कालो पछिको घर लाए जो जननाद्वा शिप्रा छिपकर वरदीप बच
श्री श्रेणिडरासनी प्रतनुं प्रथम पृष्ट. (गोपीपुरा-सुरत)