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________________ ( 30 ) १४ ए पर्वतनी पुंठे एकशो आठ कूट अथवा शि खर बे, माटे एनुं अष्टोत्तरशतकूट एवं नाम जाणवुं. १५ बीजा सर्व पर्वतोमां ए पर्वत राजा समान बे माटे तेनुं (नगाहिरा के० ) नगाधिराज नाम जाणवुं. १६ ए पर्वनी पुंठे कमलनी पेरें सेहस्र टुक बे माटे ( सहस्सकमलो के० ) सहस्रकमल नाम जाणवुं. १७ ढंग नामे टूक बे माटे ढंकगिरि नाम जाणवुं १० कवकनामा यनुं देरासर बे, माटे एनुं (कउ(निवास के० ) कमिनिवास एवं नाम जाएं. १० लोहितध्वज नामें पर्वत बे माटे एनुं ( लोहिच्चो के० ) लौहित्य गिरि एवं नाम जाणवुं. २० तालध्वज नामें पर्वत बे माटे एनुं ( तालनो के० ) तालध्वज एवं नाम जाणवुं २१ अतीत चोवीशीमां निर्वाणीनामा तीर्थकर ना कदंब नामें गणधर कोमी मुनि सायें या तीर्थनी टुकें सिद्धि वरया, माटें कदंबगिरि एवं नाम जावं. ए एकवीश नाम ते (सुरनरमुणिकय के० ) देवता, मनुष्य तथा मुनियोना करया थका थया करशे, माटे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005394
Book TitleShatrunjay Tirthmala Ras ane Uddharadikno Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1923
Total Pages106
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
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