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________________ ( ६ ) ६ बीजां सर्व तीर्थ तथा अढी द्वीपने विषे जेटला जीव सिद्धिने पाम्या, तेथी पण घणा जीवो य तीर्थने विषे सिद्धिने पाम्या, बे, माटें श्री सिद्धशेखर नाम बे. ७ सर्व तीर्थोकी तथा सर्व पर्वतोथकी ए पर्वत प्रसिद्ध बे माटे एनुं सिद्धपर्वत एवं नाम जाणवुं. ए ८ घणा राजा केवलज्ञान पामी ए तीर्थने विषे सिद्धि पाम्या माटे एनुं सिद्धराज एवं नाम जापकुं श्री बाहुबल रुषीश्वरे काउस्सग्ग करयो माटे एनुं ( बाहूबल के० ) बाहुबलि एवं नाम जाणवुं १० श्री रुषजदेवनी माता मरुदेवाजीनी टुंक ए तीर्थ उपर बे माटे एनुं (मरुदेवो के० ) मरुदेव नाम बे. ११ ए तीरथनी रक्षा करवा सारु इंद्रना कहेवा थकी सगरचक्रवर्ती, समुद्रनी खाइ लाव्या, तेथी एनुं ( जगीर हो के० ) नगीरथ एवं नाम जाणवुं. १२ ए पर्वतनी पढवाडे सहस्रकूट बे माटे एनुं ( सहस्तपत्त के० ) सहस्रपत्र एवं नाम जाणवुं. १३ ए पर्वतनी पढवाडे सेवंधानी टुंक बे, माटें एनुं ( सयवत्तो के०) सयवत्तो एवं नाम जाणवुं. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005394
Book TitleShatrunjay Tirthmala Ras ane Uddharadikno Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1923
Total Pages106
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
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