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________________ (१३) पल तुरंग ॥ पश्चात्ताप करे अंदोय, जिनवर दरि सण करवा मोय ॥ ३४ ॥ कर्म कठिन दर्शन नवि थयो, ध्यानधरी सुर लोकें गयो ॥ नाव धरी जो दीजे दान, तेह तणुं फल एक प्रधान ॥ ३५ ॥ नाव विना तो न पले शील, अण मिलते गंगेव अहिल ॥ धन यौवन मलियो संयोग, शय्या शील सजे सुर लोक ॥३६ ॥ नावे तप तपिये ते खरो, नवियण नाव सदा मन धरो॥ दान शील तप नावे करी, शीघे वरीयें शिव सुं दरी॥३७॥ श्स्योजाव राणी मन वस्यो, कुंदन उपर हीरो किस्यो ॥ सुरत संजोग तणां सुख सार, नागलता चंदन जरतार ॥ ३ ॥ श्म लीनोहरिचंद, नरिंद, नारी सुतारा नयणानंद ॥ एक थंनो चंचो आवास, विलसे दंपति लील वि लास ॥३ए ॥ राजा राणी रंग रसाल, कनक सुंदर कहे त्रीजी ढाल ॥ सुणतां रीके चतुर सु जाण, उठी परहा जाये अयाण ॥ ४० ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005392
Book TitleHarichand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1897
Total Pages114
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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