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(४७) सिंह; जावम नावम साह सारंग, कलयुग माहिं रहाव्या रंग ॥ ११७ ॥ हू विमल एकल युग माह्य, तेह तणां करणी कहेवाय; सांजलज्यो सहु करी निटोल,जेहनो सरस कथा कलोल॥११॥
॥ वस्तु बंद ॥ __ लच्चि थपई लछि थपई, प्रथम युग माहिं पुफामाल तव प्रगटी, रत्नमाल जग जोई बीजे; श्री श्रीमाली थापना, एवं नाम श्रीमाल त्रीजे, चोथे जुग हवे जोईयो, जाणे बाल गोपाल; सचराचर सोहामj, नबुं नगर नीनमाल ॥१॥
॥ चोपाई॥ नेउ सहस श्रीमाली तणां, मंदिर मोटों सोहामणां; पिस्तालीस सहस विप्र वसे, वेद पुराण अर्थ अन्यसे ॥१॥ बिहुँ बिहुं मली कस्यो. परवाह, ब्राह्मण एक तणो निर्वाह मुनिवरतणी सहस पोसाल, इस्युं नगर निरख्यु नीनमाल.॥२॥ कलयुग कल्प वृद.. अवतार,
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