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(१७ ) अलें ॥ १५ ॥ नड उठ्यो अंगो अंग ईशो, तर तर तड बेटे कमा किशा; सिंह गल जंव जीव जिशो, विमल आगल पंड्यो राउ तिशो ॥ १३ ॥ तड तड तड तभी दृष्टी करी, मुह मरडि माणे मंड जरी: कड कड कम करडी दंत कली, जड धायो एंडो पुत्र वली ॥ १४॥ सिंह नाद को गज शाट कम्यो, जड जग्गा कोडि कटक नस्यो; गय पंड्यो खंडी खिच्च कस्यो, गल थल सी गिति धस्यो ॥१५॥ कठ पंजर करि जंजीर जड्यो. घण घदड कर जिम काग चड्योः नव नव पर नरपति नाद नड्यो, घण सल लहे एघाट घड्यो ॥ १६ ॥रण घंघल मंगल तर रवा. सरकार ने नाद नवा; विमल मंत्रि जय जय हि को बंदोजन जय जय. कार करे ॥ १७ ॥
सुहडा सुंदर रण उत्रिय यत, बरवे करवे हाथ की एणः पेखि सुइड पड्यो समरंगण, हुँन
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