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________________ (११) पटा, करि काराती कटि कटा, नडभडता गल खटकति लटा, जम जामे हुंबे वृक्ष वटा ॥६॥ घण दूम्या घुम्या घय वटे, नय नीता जीता रान रमे; गयणि ऊडंति अंग अमे, समली जमली जमलीज तडे ॥ ७॥ सुर किंनर कोटी लोक लखा, रण हो जो पंच पखा; कट कटरे कटकि विकट वटा, गढ कृटि कीधा लोट दट ॥७॥ हर वाट्या टाच्या तीर तपे, रण काले फाले टोप टपे; दवि नरकर खरकर पंन खरे, तिम सरकर परकर लरक वरे ॥ ए ॥ नट नीषण रीषण रुपि थया, बालापण आपण थाज जया; जण धजी मुंफी मांहिं मन्या, धर. णीधर धारी धरणी ढल्या ॥ १० ॥ हब हब हम हबकी हाक हवे, ऊब ऊब ऊब वीज खडग्ग खिवे; धबधव धब धींगट धीर बसे, कम कमती कायर खेव खिसे ॥११॥रण रण काहल रणकि अलें, मम डम डमझ ममकी अलें; दम हम ढोलति ढमकि अले, चम चम चंचल चमकि Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005391
Book TitleVimal Mantri no Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages180
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size10 MB
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