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פה
॥ णमो णमो संजमवी रिप्रस्स ॥ ॥ भुजंगप्रयातवृत्तम् ॥ ॥ वली ज्ञानफल चरण धरीए सुरंगे, निराशंसता द्वाररोधप्रसंगे ॥ जवांजो धिसंतारणे यान तुल्यं, धरुं तेह चारित्र प्राप्तमूल्यं ॥ १ ॥ होये जास महीमा थकी रंक राजा, वली द्वादशांगी जणी होय ताजा ॥ वली पापरूपोपि निःपाप थाय, थइ सिद्ध ते कर्मने पार जाय ॥२॥
॥ ढाल उलालानी देशी ॥ ॥ चारित्रगुण वली वली नमो,
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