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स्सइंजिणरूप मबरेणुव,फूट लूण तमयमस्स ॥४॥ ए गाथा कहीने लूणने अग्निशरण करवू. पठी वली प्रथमनी पेठे खूण पाणी लश्ने मुखथीभावीरीते गाथा कदेवी:
॥ दोहा ॥ सर्व मुणिव जलविजड,तं तह नमल पास ॥अहव कयंतसुनिम्मलू, निग्गुण बुद्धि पयास॥१॥ जल थाणे विणु जलणिह पासह, नर विकयंजलि जाविहिं पासह ॥ तिन्नि पयाहिण दितिय पासह, जिम जिउ बुझं नव उद
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