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(३७) ॥ मा॥ प्र० ॥ वली ॥ ५ ॥ लख्या लेख मटे नहीं, प्र॥ वरष बार वियोग हो ॥ नाविने वशे मोगव्यो, प्र॥ पुण्ये पामी संयोग हो ॥ जी० ॥ दे ॥ मन ॥ मा० ॥ प्र॥ वली० ॥ ६ ॥ जुवो विमासीने तमे, प्र॥ए सघलां सहीनाण हो । मनशुं ते लाज्यो घणुं, वाहला माहारा वनितानी सुणी वाण हो ॥ जी० ॥ दे० ॥ मन ॥ माग ॥ ॥ वली० ॥ ७॥ उदय अढारमी ढालमां, वाह ॥ कहे सुणजो सहु कोय हो ॥ जग माहे जोतां सही, वा० ॥ करम करे ते होय हो ॥जी॥ दे०॥ मन ॥ मा०॥ प्र० ॥ वली०॥ ॥
॥दोहा॥ ॥पीयु कहे सांजल हे प्रिये, आज लगे अरधांग ॥ निश्चय में जाणी नहीं, महियारीने खांग ॥१॥ आप जणावत आवीने, जो तुं गणिका गेह ॥ साचुं मानत तो सही, हं तुज वयण सनेह ॥२॥ ॥ ढाल उंगणीशमी ॥जरमर जरमर हो शेलामारु
वरसे लो मेह ॥ ए देशी॥ ॥ में जाएयु हो वाहालो माहारो पीयुमो रीसाल, पासे वेश्या पण वींडीनो कमो ॥ तेह साथे
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