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________________ ( ए१ ) ॥ ११ ॥ गुरुगोत्रज पूज्या नथी रे, पुजतां होए ब मास ॥ रा० ॥ तुमने चालवा नही दीये रे, राखसे एह आवास ॥ रा० ॥ १२ ॥ मत ए कोईने जणावजो रे, समजी रहेजो चित्त ॥रा० ॥ वातकी करवा तुम थकी रे, इहां हुं यावीश नित्त ॥ रा० ॥ १३ ॥ धूती ने एम नूपने रे, यावी राणी पास ॥ रा० ॥ कहे नृप कोई व्रत मां मियो रे, रहेशे इहां बमास ॥रा० ॥ १४ ॥ त्यार पढे तुम पुत्री नेरे, विलसे जइ उजेए ॥ रा० ॥ कोई कहेता रखे रे, ढांनी वात बे तेण ॥ राव ॥ १५ ॥ षट मासनो श्यो आसरो रे, दिन जातां सी वार ॥रा०॥राणी यें सह जाएयुं खरुं रे, जूठ न बोले ए नार ॥ रा० ॥ १६ ॥ बाजीगरीना गोटकारे, केह वा रमाडे बे बाल ॥ रा० ॥ मोहन विजयें वरणवी रे, रूमी तेत्रीसमी ढाल || रा० ॥ १७ ॥ ॥ दोहा ॥ ॥ मानवती बीजी रयण, यवी प्रीतमपास ॥ नृ पत्रिय गुरुणी जाणीने, आदर दीधो तास ॥ १ ॥ जोवे वक्रकटाक्ष जरी, सा टाली अंदोह ॥ श्राकृति देखी तेहनी, नृप पाम्यो व्यामोह ॥ २ ॥ मूगत राजा थयो, व्याप्यो विषय विकार ॥ तिम तिमसा दाखे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005386
Book TitleMantung Raja ane Manvati Ranino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages132
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size16 MB
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