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घणा, हाव नावअधिकार ॥३॥ नृपें लटपट मांगी घणी, विलसे वातें नार ॥ पण नवि जाणे राजवी, जे ईणे कीध प्रकार ॥४॥
॥ ढाल चोत्रीशमी॥ ___ मेंदीरंग लागो ॥ए देशी ॥ नृप कहे मानवतीन णी रे लाल ॥ हुँ रंज्यो तुज देख ॥ विषयी वसुधाता ॥ तुं पण करुणा नेहथी रे लाल ॥ हसि करी साह मुं पेख ॥ वि० ॥१॥ वाणी सुणी श्म रायनी रे लाल ॥ मानवती कहे ताम॥विणारे मालवपति मु ऊने रे लाल ॥ वचन कहो कां श्राम ॥ वि॥२॥ रतनवती परणी त्रिया रे लाल ॥ परणे न पोहोती यास ॥ वि० ॥ जे मुऊने प्रार्थो अब रे लाल ॥ धि गधिग मदन विलास ॥ वि०॥३॥वाहर जोईये जि हां थकी रे लाल ॥तिहाथी क्युं श्रावे धाम॥वि०॥मू की द्यो नोलामणी रे लाल ॥ रहेवा द्यो ए लाम ॥ वि०॥४॥ परणी घरणी जे हुवे रे लाल ॥ तेहने कहियें एम ॥ वि०॥ परनारीने एहवी ॥ लाल ॥ वा तो कहियें केम ॥ वि०॥५॥ श्म निबी रायने रे लाल ॥ कहीने कमुवां वेण ॥ वि० ॥ तो पण मान वती थकी रे लाल ॥ चोरे नही नृप नेण ॥ वि०
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