SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 92
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (ए) नृपनी पुत्रिका रे, परणे जो कोई वसुधार ॥ रा॥ ते तो एगे माहरो रे, चाखे एह कंसार ॥रा॥३॥ चाखो एह कंसारने रे, होसे कोम कल्याण ॥रा॥ नही तो वरकन्या नणी रे, उपजे कोई विन्नाण ॥ रा० ॥४॥ जो सुख वांडो राजनो रे, तो जिमो फु हुँ एह ॥ रा ॥ नामायें जोलव्यो नर्तुने रे, नारी कपटनो गेह ॥ रा०॥५॥ नृपें जाएयुं साचुं कां रे, ए तो सुंदर नार ॥ रा॥ रीत हसे श्हां एहवी रे, तो सुं करीयें पचार ॥ रा ॥६॥ कहे नृप एपीने दी रे, जिम चालुं कंसार ॥ राण ॥ तेणें दीधुं फुवं करी रे, न कस्यो कोश् विचार ॥ रा॥ ७॥ नृपें आरोग्यो कोलियो रे, करिने तेह कंसार ॥रा॥ नृप सुं करे केहने कहे रे, धूते निजघर नार ॥॥ श्रा चमन जलथी कर। रे, बोल्यो नूप तेवार ॥ रा॥ वलि जे विध होय ते कहो रे, करिये सयल आचार॥ रा॥ ए ॥ पण मुक किम परणी त्रिया रे ॥ हजि य न वी आवास ॥ रा० ॥ किम तेमी नाव्यां तुम्हे रे, कारण स्यो डे तास ॥ रा०॥१०॥ मानव ती बोली तदा रे, सुणो उजेणीधीस ॥ रा॥ मलशे षटमासें पड़े रे, सा तुम विश्वावीस ॥ रा० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005386
Book TitleMantung Raja ane Manvati Ranino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages132
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy