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________________ (नए) न कहुंडं रे, मत मानजो उखें रे, कहो तो जश् पूढे मारा रायने रे ॥ बत्रीसमी ढालें रे, कहि मंगल मालें रे, मोहनें सुविशालें कंठे गाश्ने रे ॥ १३ ॥ ॥दोहा॥ ॥राणी मानवतीजणी, कहे जई पूडो राय ॥ जेहवी दीये आगना, तेहवी सूंपो श्राय ॥१॥मान वती ऊठी तदा, नूषण सजी विशाल ॥ लेई चाली हाथमें, नरि कंसारें थाल ॥२॥ मानवती रमऊम करती, श्रावीप्रीतम पास ॥ पीउडे तो नवि उलखी, अहो अहो दंन विलास ॥३॥ प्रणिपति करी उनी रही, पागल मूकी थाल|मानतुंग मधुरे खरें, बोल्यो तास निहाल ॥४॥ कहे कुण तूं कामिनी, किम आवी जररात ॥ नरि कंसारे थालिका, शी ने कहो मुऊ वात ॥५॥ ॥ ढाल तेंत्रीशमी॥ नांहनो नाहलो रे ॥ ए देशी ॥ ___ बोली मानवती सती रे, करी बूंघटपट लाज ॥ राजन सांजलो रे ॥ गुरुणी बुं रत्नवती तणी रे, मान वती मुऊ नाम ॥ राण ॥१॥ कंसार जे लावी अर्बु रे, तेदनो निसुणो विवेक ॥ रा०॥ अम घर एहवी रीत रे, अतिहि अपूरव एक ॥रा॥२॥जे अम Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005386
Book TitleMantung Raja ane Manvati Ranino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages132
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size16 MB
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