SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 86
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (1) तार ॥ ५॥ के गणि कोई ठगी गई, इस्यो थयो प्रकार ॥ मुखमां आव्यो कोलियो, गयो हवे किस्यो विचार ॥६॥ जो ए योगण जाणशे, तो होसे निस नेह ॥ गश्तो आगी जाण दे,गया तणी शी हि ॥७॥ ॥ ढाल एकत्रीशमी॥ ॥ मानो मानो सजन मुफरो मानो ॥ ए देशी ॥ ___॥ नृपना मनमा खेचरी रे ॥ सूरिजन ॥ खटके थश्ने साल ॥कामनी धूतारी॥जोलेवे सुरनरकोमी ॥ माननी मतवारी॥ माने नृप उजालनो रे॥ सू०॥ कोश्क थर गयो ख्याल ॥ का ॥१॥ पण नृप न कहे कोयने रे ॥ सू० ॥ वृषन थयो ते वात ॥ मा०॥ कोठीमा मुख घालिने रे ॥ सू० ॥ रोवे ज्यु तस्कर मात ॥ का० २॥ योगण पण अण जाण ती रे ॥ सू० ॥ थ बेठी नृपपास ॥ मा० ॥ एक एकथी राखे बुपी रे ॥ सू० ॥ वातडली सुविलास ॥ का० ॥३॥ डेरा उपाड्या वनढूंतीरे ॥ सू० ॥ चाल्यो तिमहिंज सेन ॥ मा० ॥ तिमहीं सामण गोठडी रे ॥ सू० ॥ मांडे पती उऊोण ॥ का० ॥४॥ अनुक्रमें श्राव्या चालता रे ॥ सू० ॥ मुंगीपट्टण तेणीवार ॥ का ॥ सामिण कहे महारायने रे ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005386
Book TitleMantung Raja ane Manvati Ranino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages132
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy