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________________ (७३) दाय॥लाल रे॥चतुर सनेहि सांजलो॥॥तिहां नृप वाट जोतो हसे, हु तुमे तश्यार॥ला॥धरम करम गति शास्त्रनी, तरित कही सुविचार ॥ ला ॥ च ॥२॥ नप पण तेहना कहेणथी. सजी चतरंगी सैन्य ॥ ला ॥ निसाने मंका थया, नादें पूस्यो गयण ॥ ला० ॥ च ॥३॥ योगणियें निजयंत्रमां, राख्या नूषण खास ॥ ला ॥ ांना राख्या गोपवी, नृपति न जाणे तास ला॥ च०॥४॥ चाल्यो नृप दक्षिण दिशे, सचिवने आगल कीध ॥ ला ॥ योगिण पण साथें चली, रथमें बेसारी लीध ॥ ला ॥०॥५॥ वाटें दल सबलो वहे, जाणे ऊंमह्यो मेद ॥ ला ॥ के उबलियो कबोलथी, दीरोदधि ने एह ॥ ला॥ च०॥६॥ एक एकने ऊपरें, हय चाले हीसंत ॥ ला॥ मदकरता मयगल चले, अ॒मादंम धरंताला॥ च॥ ७॥ पायक प्रौढा परवस्या, हवा सानिध बरू ॥ ला० ॥ मुबाला महरायता, तिरकसी चले धरि कंध ॥ ला० च ॥७॥श्म सेन्याये परवस्यो, मंजल सर थयो राय ॥ ला ॥ दण दण नृप सा मणतणी, खबर लिये चित्त लाय॥ला॥चाणाक्षण क्षण बिडं एक वाहने, बेग करे गुणगान ॥ ला॥ गीत Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005386
Book TitleMantung Raja ane Manvati Ranino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages132
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size16 MB
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