SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 66
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ६४ ) खेद ॥ पुत्रीने परणावसुं, ए पूरी शुं उमेद ॥ ६ ॥ माता एं पुत्री जणी, जइ दीधी आसास ॥ इछावर परणा वशुं, पूरुं तुक मन यास ॥ ७ ॥ ॥ ढाल चोवीशमी ॥ ॥ धारा ढोला ॥ ए देशी ॥ ॥ दलथंजण निज मंत्री ने रे, मी कहे एकंत ॥ गुणना लोजी, तुंजा नयरी उणीयें रे ॥ मानतुंग जिहां संत ॥ गुं० ॥ मानो मानो सुगुण कह्यो मा नो, तुमे ए महारी अरदास ॥ गु० ॥ ए यांकणी ॥ ॥ १ ॥ कहेजे लागीने पगे रे, माहरो संदेसो तास ॥ गु० ॥ रतनवतीने परणवा रे, वेहेला यावो यावास ॥ गु० ॥ २ ॥ थाशे जे मुऊ चाकरी रे, तेह करीश महाराय ॥ गु० ॥ रहेसुं दास थई सदा रे, इम जई कहेंजे जाय ॥ गु० ॥ ३ ॥ वहे जे पंथ उतावलो रे, विलंब न करजे क्यांहि ॥ गु० ॥ वहिलो वलजे नृप जणी रे, तेमी आवजे हिं ॥ गु० ॥ ४ ॥ मंत्री नृप आदेशथी रे, चाल्यो चडीने तुरंग ॥ गु० ॥ साथे लीधो संबलो रे, जट लीधा वलि संग ॥ गु० ॥ ॥ ५ ॥ पंथे वदेतां पाधरो रे, जोतो धरा गिरि नेए ॥ ० ॥ अनुक्रमें केते दिने रे, आव्यो पुर उजे ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005386
Book TitleMantung Raja ane Manvati Ranino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages132
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy