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________________ ( २८ ) जीया जाने मल्या, केशरमे गरकाव ॥ ताता तुरी कु दावता, यालुंदा नरराव ॥ ४ ॥ धनदत्ते हवे मंदिरें, मांड्यो तिनबरंग ॥ वहिल सुखासन पालखी, सिणगारया शुचि अंग ॥ ५ ॥ ॥ दाल गीयरमी ॥ ॥ करमो तिहां कोटवाल ॥ ए देसी ॥ मानतुग म हीपाल, जान सजीने हो परवस्यां रंगशुं जी ॥ गु हिरा घुरेरे निसा, ताल कंसाल ने जंगल जंगसुं जी ॥ १ ॥ गजलका सोहंत, सोवन सांगत घोडा घूमराजी ॥ गुमियां गया गुजंत, यागल दोडे लवे नंबरांजी ॥२॥ नृपशिर सोहे वत्र, वली शुभपूजित फबतो सेह रो जी ॥ चामर ढले चिहुं और, फरहरतो वागो केह रोजी ॥ ३ ॥ लीधो श्रीफल हाथ, कुंकुमतिलके तंडुल जावियाजी ॥ इणे बरे राय, धनदत्त शेठने मंदिर वियाजी ॥ ४ ॥ तोरण मोतियें वधाव, वरकन्याने चोरियें पधरावियां जी ॥ रति मकरध्वज जेम, रूप उजयनां सहुने सोहाविया जी ॥ ५ ॥ पंचामृतनो होम, द्विज बेठा वेद चर्चा करेजी ॥ वाजे मंगलतूर, गाजे अंबरलोकां गहगहे जी ॥ ६ ॥ सोहला सरले साद, गावे गोरियां करगल बाहमी जी ॥ वर कन्याने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005386
Book TitleMantung Raja ane Manvati Ranino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages132
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size16 MB
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