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________________ (२१) रे लाल ॥ मुखथी करी नीहोर रे ॥२०॥प्रा॥ ॥ए ॥ वचन सुणी धनदत्तनां रे लाल ॥ रंज्यो प्र धान विशेष रे ॥ २० ॥ अतिहि आगतवागता रे लाल ॥ वलि निपुणा पेखरे ॥ २० ॥ प्राण ॥ १० ॥ सचिव कहे मलवा जणी रे लाल ॥ श्राव्यां बु अमे आज रे ॥ २ ॥ तुमे सजन बो सेठजी रे लाल ॥ तुम नणि रूडा काज रे ॥ रं ॥ प्राण ॥ ॥ ११ ॥ नृप बहु तुम ऊपर कृपा रे लाल ॥ राखे ने निसदीस रे ॥रं ॥ जेहवा सांजलिया तेहवा रे लाल ॥दीग अमे सुजगीस रे ॥॥प्रा॥ १२ ॥ मांमी मांहोमांहे वातमी रे लाल ॥ पूढे सचिवजी वात रे ॥ २॥ कहो व्यापार किस्यो करो रे लाल॥ केता तुम अंगजात रे ॥ २० ॥ प्रा० ॥ १३ ॥ सेठ कहे प्रवहण तणो रे लाल ॥ व्यापार कृपाल रे ॥रं ॥ पुत्री एक माहरे अ रे लाल ॥ मानवती सुकमाल रे ॥२०॥ प्रा० ॥ १४॥ सांजलजो श्रोता जना रे लाल ॥ आगल वात रसाल रे ॥ २ ॥ मोहन विजयें रुपमी हो लाल ॥ नाषी आग्मी ढाल रे ॥ २ ॥ प्राण ॥ १५ ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005386
Book TitleMantung Raja ane Manvati Ranino Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1906
Total Pages132
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size16 MB
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