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(२०)
बोलणहार रे ॥ रंग ॥ वातो सो गरणे गले हो ला ल ॥ डाह्यो जेह व्यापार रे ॥२॥प्रा०॥२॥ धव धव ऊव्यो ध्रुजतो रे लाल ॥ बेहडो हाथ विचाल रे ॥ रंग ॥ पमती धोती पहिरतो रे लाल ॥ खमखम हसतो थाल रे ॥ २० ॥ प्राण ॥३॥ चिंतवतो मन मां इस्यो रे लाल ॥ केम सचिव मुक गेहरे ॥ रंग ॥ मोसीने घरे वाघलो रे लाल ॥केम समाये एह रे ॥रंग ॥ प्राण ॥४॥ हूं व्यापारी वाणिलं रे लाल॥ ए तो नृपनो अंग रे ॥ २०॥ धाईने जाई मल्यो रे लाल ॥ कारमो करी उबरंग रे॥रंगाप्रा॥॥ दीधुं अमात्यने बेसणुं रे लाल ॥ जगति युगति करी को म रे ॥ २० ॥ तांबूलादि श्रागें धस्या रे लाल ॥ उन्नो बे कर जोम रे ॥२०॥ प्रा० ॥६॥कहा कम खामी कृपा करी रे लाल ॥ मुऊ ऊपर धरी प्रेम रे॥ रं॥ आज कृतारथ हुं थयो रे लाल ॥ प्रगटी मुफ घर गंगरे ॥ ९॥ प्रा० ॥ ॥ कोण प्रयोगें पधारि या रे लाल ॥ कहो मुफ लायक काम रे ॥ रंग ॥हुं पदरज बुं रावलो रे लाल ॥ पाम्यो घणुं आनंद रे ॥ रंग ॥ प्राण ॥ ७ ॥ फरमावो कोई चाकरी रे लाल ते करूं शिरने जोर रे ॥रं॥ मामी साकर घोलवा
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