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(२५) जी देवाजी जीडे॥४॥ देवकी नंदन श्राठमो हो, जेम थाये तेम जेम ॥ इण कारण तुम समरीयो हो, उर नहीं कोश्प्रेम ॥ उर नहीं कोश्प्रेम हमारे, बालकनी लीला चित्तमें धारे ॥ एह स्त्रीने होये जग आधारे, पुत्रने देखे माता जिवारे ॥ जी देवाजी जी ॥५॥अवधिज्ञान प्रयुंजीने हो, देव कहे तेणी वार ॥ देवलोकथी चवी करी हो, देवकी कुखे अवतार ॥ देवकी कुखे अवतारज थाशे, सवा नव मास जेवारे जाशे ॥ पुत्र जनम्याथी सुख पाशे, दरिशण जेहनो सहुने सुहाशे ॥ जी कानाजी जी ॥ ६॥ जरजोबन वय पामशे हो, पुत्र होशे महा महोटो। पण दीदा लेशे सही हो, वचन नहीं अम खोटो ॥ वचन श्रमारो खोटो न था,माताने यावी दीध वधा३॥ माता हियडे हर्ष न मावे, कृष्णजी मनमा आनंद पावे ॥ जी माताजी जी ॥७॥ वलता कृष्णजी एम कहे हो, सांजलजो मोरी मा॥देवरूप कुंवर होशे हो, देजो मुज वधाइ ॥ देजो मुज वधाइरे माता, पुत्र होशे तुम जगत विख्याता॥ मनमां राखो तमे सुखशाता, माताजी थाशे मुज लघु जाता॥जी माताजी जी ॥ ॥ वयण सुणी कृष्णजी तणां
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