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(२४)
॥ ढाल तेरमी॥ ॥ चंबाउलानी देशी ॥वलता कृष्णजी एम कहे हो, माजी म करो चिंता लगार ॥ जेम तुम नंदन थायशे हो, तिम हुं करीश विचार॥ तिम हुँ करीश विचार रेमाश्, मनमें चिंताम करो कांश॥देजो मुऊने जलीय वधार, जब जनमे महारोन्हानो ना॥जी माताजी जी ॥१॥माताचरण नमी करी हो,श्राव्यो पौषधशाल॥ हरिणगमेषी देवता हो, मन समस्यो ततकालमन समस्यो ततकाल मुरारी, अहमनक्तज चित्तमें धारी॥देवता यावी कहे तिण वारी, एडवो कष्ट कीयो केम जारी॥जो कानाजी जी॥शादेव कहे कृष्णजी प्रत्ये हो,केम तेमाव्यो मुज॥कारज कहो मुजने सही हो, जे कर, होये तुज॥जे करवु होये तुज काम जारी, श्रमे बलं तुजने उपगारी ॥आदेश यो श्रमने सुखकारी, काम कहोने ते शुज सारी ॥ जी कानाजी जी ॥३॥ देव प्रत्ये कृष्णजी कहे हो, सुणो तुमे चित्त धार ॥ लघु बांधव मागुं सही हो, कृपा करो हरिणगमेषी सार॥कृपा करो हरिणगमेषी सारी, होवे बालक लीलाकारी ॥ सुख पामे ज्युं मात श्रमारी, जादवकुल माहे जयजयकारी॥
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