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॥ अथ ॥
॥श्रीपांत्रीश बोलनो थोकडो तथा
शिखामणना बोलो प्रारंजः॥ १ पहेले बोले नरकगति, तिर्यंचगति, मनुष्य गति अने देवतानी गति, ए चार गति जाणवी॥
२ बीजे बोले एकेजिय जाति, बैंपिय जाति, तेंजिय जाति, चौरिंजिय जाति अने पंचेंजिय जाति, ए पांच जाति जाणवी ॥
३ त्रीजे बोले पृथ्वी काय,अप्काय,तेनकाय, वायुकाय,वनस्पतिकाय अने त्रसकाय,ए उ काय जाणवी।
४ चोथे बोले श्रोत्रेजिय, चकुरिंजिय, घ्राणेंजिय, रसेंजिय श्रने स्पर्शेजिय, ए पांच इडिय जाणवी ॥
५ पांचमे बोले थाहारपर्याप्ति, शरीरपर्याप्ति, इंजियपर्याप्ति, श्वासोडासपर्याप्ति, नाषापर्याप्तिअने मनःपर्याप्ति, ए पर्याप्ति जाणवी.
६ बबोले पांच प्रिय तथा मनोबल, वचनबल, अने कायबल, ए त्रण बल, एवं आठ, अने नवमो श्वासोवास तथा दश, आयु, ए दश प्राण जाणवा।
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