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________________ चंदराजानो रास. अर्थ ॥ ज्यां कटप वृक्ष जेवां वृक्षो सफल अने सुशोनित होय त्यां मूलानां फलने को काडमा लेखे नहीं. ॥ ५॥ हे! बाइजी, तमारा पुत्र जेवो कोई बीजो संसारमा नथी. तेवो पुरुष मारा शिरपर स्वामी ने तेथी मारो अवतार लाखेणो जे. ॥६॥ . नाग्ये श्राव्यो नागमें, ते महारे जगवान ॥ जाणे श्राव्युं जेहने, ते तेहेने पकवान ॥॥ अर्थ ॥ जे लाग्यश्री मारे जाग श्राव्यो ते मारे जगवान् बे. नाणे जेने जे श्राव्यं ते तेने पकवान्न ले. ॥७॥ ॥ ढाल चौदमी॥ ॥ डोरी माहरी आवे हो रसिया कडतले ॥ ए देशी॥ वीरमती कहे निसुण गुणावली, ने मुज चंद सुजात ॥ सलूणी ॥ कहुं बुं हुं तो ए तुज श्रागले, उठे आवी जे वात ॥सावी॥१॥ पण बहुरत्ना एह वसुंधरा चंदथी अधिक अनेक सादेश विदेश जोतें निरख्यो हवे तोतुंजाणे सुविवेक॥सवीना॥ अर्थ ॥ वीरमती बोली. हे ! गुणावली ! सांजलो, ए मारो पुत्र चंद उत्तम ने. तो तारी आगल जे वात होठे आवी ते कडं बु.॥१॥ पण आ पृथ्वी बहुरत्ना वे. चंदथी अधिक अनेक पुरुषो के. देश विदेशमां जो तें जोया होय तो तेनो विवेक तारा जाणवामां श्रावे. ॥२॥ तें एक दीठी एह थानापुरी, तुजने एटली गम्य ॥स०॥ वात झुं जाणे अवर पुरीतणी, शुलदे रम्य श्ररम्य ॥सणावी॥३॥ तिणे अवतार श्रलेखे तुज गणुं, सांजलन धरीश रीश सादीग नही जो विनोदणे झते, तो पडीक्यारे जोश॥सणावी॥ अर्थ ॥ तें एक श्राजापुरी दीठी चे एटले तने एटलीज गम जे. बीजी नगरीनी वात तुं शुं जाणे? श्रने श्रा रमणीय ने श्राश्ररमणीय एनी तने शी खबर पडे ! ॥३॥ तेथी करीने हुं तारो अवतार अलेखेग[.श्रा सांजल जे, रीस करीश नही. जो आवा समयमां तें विनोद जोया नहीं तो पनी कयारे जोश ॥४॥ हुंतुज वखते सासू सांपमी, तुंहजी थाणे संकोच ॥सा कौतुक कोन दीगे तें वहु, ए मुज सबल थालोच ॥सणावी॥५॥ वनना कुसुमतणी परे तादरो, ए जाए श्रवतार ॥ स०॥ तुं शुं सराहिस मानव जव नणी, नवि जोश देशाचार ॥सावी॥६॥ अर्थ ॥ तारा योग्य वखतमां मारा जवी तने सासु मली अने तुं हजी संकोच सावे , हे, वहु ! तें कांइ हजु कौतुक जोयु नहीं, ए मने प्रबल विचार थया करे . ॥ ५॥ वननां पुष्पनी जेम तारो अवतार व्यर्थ जाय जे. जो तुं देशाचारने जोईश नहीं तो पड़ी आ मानव नवनो शो लावो लश्श! ॥६॥ नव नव तीरथ नव नव गिरिवरा, नव नव नगर निवेश ॥ स ॥ नव नव कुंड नवी नवी निम्नगा, वन उपवन सुविशेष ॥ स० ॥ वी० ॥ ७॥ नव नव नरवर नव नव नृप वधू, नव नव नात विनोद ॥ स ॥ नव नव रंग सुरंगा मानवी, नव नव गीत स्वरोद ॥ स० ॥ वी० ॥ ॥ विविध पवित्र चरित्र विदेशनां, जे निरखे तस धन्य ॥ स ॥ तेतो वलि माताये पुत्रीउ, जोई होशे Jain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005375
Book TitleChand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1905
Total Pages396
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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