SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 62
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चंदराजानो रास. होय तेम शोलतो हतो ॥ ५॥ पद्मिनी होय ते चांदनीने जाणी रविना कीर्ण मेलववानो प्रयास करे बे. पण था चंदनी राणीनुं मुखकमल चांदनीमां पण अधिक विकास पामतुं हतुं ॥६॥ रवि रथ खेंचीने रह्यो, मध्यान्हे आकाश ॥ जोवा नृप कांता तो, रूप रंग सुविलास ॥७॥ अर्थ ॥ सूर्य मध्यान्ह काले पोतानो रथ खेंची आ राणीनां रूप रंगनो विलास जोवाने रह्यो होय, तेम देखावा लाग्यो ॥ ७॥ ॥ ढाल बारमी॥ ॥ धन धन संप्रति साचो राजा ॥ ए देशी ॥ एडवे वीरमती तिहां श्रावी,वेश रची बह जांत रे॥करवा गोष्टि गुणावली साथे मध्यान्हे एकांतरे ॥ एहवे वीरमती तिहां श्रावी ॥१॥ दीठी गुणावलीये श्रावंती, निजमंदिरमाहे सासूरे॥बाई विनय करो कहे सजनी,बहु थावु फासूरे ॥ए॥२॥ "अर्थ ॥ ए समये मध्यान्ह काले वीरमती घणो सुंदर वेष धरी गुणावली साथे एकांत गोष्टी करवाने त्यां श्रावी ॥१॥ पोताना मंदिरमा सासुने श्रावती जोइ गुणावलीने तेनी सखीए कह्यु के, बाइ विनय करो, तेनी आगल मोटाइ राखवी ॥२॥ हाल हुकम तुमचो श्रम उपर, पण तुम उपर एहनो रे ॥ तुम प्रीतम एहने कहे चाले,जे जेहनो ते तेदनो रे ॥ए॥३॥ एहवे सजनी वचने हसती,उमी जर्ये आजरणे रे ॥ दोमी गुणावति विनयथी लागी, सासूजीने चरणे रे ॥ ए० ॥४॥ अर्थ ॥ हाल तमारो हुकम अमारी उपर ने अने तेनो हुकम तमारी उपर बे, वली तमारा स्वामी पण तेना कह्याप्रमाणे चाखे बे, जे जेनो ते तेनो समजवो. ॥ ३ ॥ एवां सखीनां वचन सांजली आजूषणोथी जरपूर थयेली गुणावली उमीने हसती दोडी अने विनयथी सासुनां चरणमां पडी ॥४॥ जाखे कृतारथ मुजने कीधी,जे तुमे शहां पांउ धार्यां रे ॥ धन्य घमी धन्य आज'नीवेला,सघलां काज सुधार्यां रे ॥ए॥५॥ बाजी श्राज करी तुमे मुजने, मेथकी पण मोटी रे ॥ कल्पलता मुज श्रांगणे प्रगटी,कहेती नथी कांश खोटी रे ॥ए॥६॥ अर्थ ॥ हे ! सासुजी, तमे अहीं पगलां कर्या तेश्री मने कृतार्थ करी बाजनी घडी धन्य , तमे मारां संघलां कार्य सुधार्या ॥५॥ हे! बाइजी,आजे तमे मने मेरू पर्वतथी पण मोटी करी. आजे मारा श्रांगणामां कटपलता प्रगट अश्. श्रआमां जरापण हुं खोटुं बोलती नश्री ॥६॥ हरषी वीरमती वह वचने, आशिष् दे बुचकारी रे॥ ताहरो सुहाग सदा होजो । अविचल,जिहां लगे जग ध्रुवतारी रे॥ए॥॥ सासूडीने अधिक सनेहे, श्रासने बेसामी रे ॥ बेठी गुणावली बेहु करजोडी, मुख आगल मनुहारी रे ॥ ए० ॥७॥ अर्थ ॥ पोतानी पुत्रवधूनां आवां वचनश्री वीरमती घणो हर्ष पामी अने चुंबन करी तेने आशीष आपी के, ज्यां लगी आ जगत् अने ध्रुवनो तारो रहे त्यां लगी तारूं सौनाग्य सदा अविचल रहेजो ॥७॥ पळी पोतानी सासुने अधिक स्नेहथी आसने बेसाडी गुणावली बे हाथ जोमी तेनी सामे बेठी ॥ ७ ॥ Jain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005375
Book TitleChand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1905
Total Pages396
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy