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________________ चंदराजानो रास. ३५ नृप दरबार एहवा ज्योतिषीरे, जाणे नक्षत्र ग्रहचार॥रंज्यो तेहने चंदनरेसरूरे, थापे गरथ नंडार ॥५॥१३॥ रूपक गीत बंद तुक हडारे, कहे श्म विविध बनाय ॥ पिंगल पाठी पामे चंदनो रे, पगपग लाख पसाय ॥ पं० ॥ १४ ॥ अर्थ ॥ नक्षत्र अने ग्रहचार जाणनारा एवा ज्योषि राजाना दरबारमा हता तेमना गुणोथी रंजन थतो चंदराजा तेमने व्यना जंडार आपी देतो हतो ॥१३॥ पिंगल पाठी कवि विविध जातनां रूपक, गीत, बंद, तुक अने दोहा बनाघी चंदराजा पासेश्री पदेपदे लाखोना नाम लेता हता ॥ १४ ॥ एहवी चंद नरिंदतणी सजारे,चकित होये शशिसूर ॥ नगिनी जाणे ७ सजातणीरे,दिन दिन प्रबल पर ॥॥१५॥ जीममुगणमां दीपे निशाकरूरे, सुर... गणमां जिम इंद ॥ तिम सचिवादि सजाये शोजतो रे,चावो चंदनरिंद ॥५॥१६॥ श्रर्थ ॥ श्रावी चंद राजानी सजा जोर चंड अने सूर्य चकित थ जता हता अने ते सजा जाण इंज सजानी बेन होय तेम दिन दिन प्रबल रूप धरती हती॥ १५ ॥ जेम नक्षत्र गणमां चं शोले, देवताना गणमां जेम इंज शोजे, तेम मंत्री विगेरेनी सन्जामां सुंदर चंदराजा शोजतो हवो ॥ १६॥ पंडित मोहन विजये नली कहीरे, एह ग्यारमी ढाल ॥ श्रोता सुणुजो सहु मन थिरकरी रे, श्रागल वात रसाल ॥ पं० ॥१७॥ अर्थ ॥ पंडित मोहनविजये था उत्तम अग्यारमी ढाल कही . हे ! श्रोता जनो ! हवे ध्यान दश्ने सांजलो. आगल रसिक वारता श्रावशे ॥१७॥ ॥दोहा॥ एकदिन तेह गुणावली, जोजनपिउ संतोष ॥ पोते पण तृपति थर, श्रावी बेठी गोख ॥१॥ करे सखी केई पवन, आपे केश मुख वास ॥ केई जल अमृत नरी, दासी उत्नी पास ॥२॥ अर्थ ॥ एक घखते राणी गुणावली लोजन करी संतोषयी तृप्त थ गोखे श्रावीने बेठी ॥१॥ कोइ सखी तेने पवन नांखती हती,कोइमुखवास बापती हती अने कोदासी अमृत जेवु जल पासेलश् उनी हती ॥२॥ केश विलेपन ग्रही रही, कुमकुम् बांटे केई॥ केश्क उनी श्रागले, दरपण करमा लेई ॥३॥ केश हसाडे साहसे, दीपे दंत उदार ॥ वायु थकी दामिम फले, जाणे थ दरार ॥४॥ - अर्थ ॥ को विलेपन खर उनी हती, कोश् कुम्कुम्ने गंटती हती, अने कोइ हाश्रमां दर्पण लइ श्रा गल उनी हती ॥ ३ ॥ कोइ साहसथी हसावती हती, ते वखते तेना सुंदर दांत वायुश्री फलीने फाटी गयेला दाडिम ज़ेवा लागता हता ॥४॥ केई राणी कंठे ज्वे, पंच वर्ण शुज दाम ॥ जाणुं अतिफुलित थयो, मदन तणो श्राराम ॥ ५॥ जाणी चंदनी पदमिनी, करे रवि मुदित थायास ॥ पण युदले राणी वदन, लह्यो अधिक विकास ॥६॥ अर्थ ॥ को राणीना कंठमां पंचवर्णी हार नांखती हती,ते हार जाणे काम देवनो बाग प्रफुलित अयो Jain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005375
Book TitleChand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1905
Total Pages396
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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