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________________ चंदराजानो रास. ३०५ ॥ ढाल २७ मी॥ ॥ कायापुर पाटण रूथमो ॥ ए देशी ॥ थापणा प्रकृत पुरुष प्रते,नाखे मकरध्वज राय रे॥श्राव्यो वे सचिव वैराटथी, करीए तस कवण उपाय रे ॥था॥१॥ माहरी ताहरी पुत्रीए, मन धर्यो एक जरथार रे ॥ कहे तो बेहुनो एक वरथकी, करीए विवाह निरधार रे ॥श्रा॥२॥ अर्थ ॥ ते सांजली मकरध्वज राजाए पोताना प्रधानने बोलावी कडं के वैराटना राजानो प्रधान आव्यो , तेनी हकीकत सांजलो अने करवा योग्य कार्य करो ॥ १ ॥ मारी अने तमारी पुत्री, बंने ए एक पतिनी साथे लग्न करवानो निश्चय कर्यो ने तेथी तमारो अभिप्राय होय तो बनेना एक वरनी साथे लग्न करीए. ॥ २ ॥ नृप जणी ताम मंत्री कहे, तेडो वैराट वकील रे ॥ लगननो दिवस निरधारी ए,माही नथी को ढील रे ॥श्रा॥३॥ तेडी वैराटनो मंत्रवी,नृप कहे श्राणी उछाह रे ॥ मेलव्यो अमे शुरसेनथी, बेहु सुता केरो विवाह रे ॥ ७ ॥४॥ अर्थ ॥ मंत्रीए कह्यु के हे महाराज ! ते वैराटना प्रधानने बोलावो अने लग्नना दिवसनो निरधार करो. मारी ते बाबतमां कोइ पण प्रकारनी ढील नथी॥ ३ ॥ पली वैराटना मंत्रीने बोलावी राजाए जत्साह पूर्वक कह्यु के अमे अमारी तथा प्रधानजीनी पुत्री एम बने कन्याउँनो शुरसेननी साथे विवाह संबंध कबुल करीए बीए. ॥४॥ लग्ननो दिवस निश्चय करी, श्रावी मंत्री वैराट रे ॥ ज जित शत्रुने विनव्यो, पाणि ग्रहण तणो घाट रे ॥ श्रा॥५॥ दोय गोरी तणो वालहो, थाशे कुंवर शुरसेन रे ॥ जान बहुमानढुंती सजी, उजली सागर फेन रे॥ श्रा० ॥६॥ अर्थ ॥ पठी लग्ननो दिवस नकी करीने वैराटना मंत्रीए आवीने जित शत्रु राजाने लग्न संबंधी सर्वे हकीकत निवेदन करी ॥ ५॥ आपणो कुंवर शुरसेन बे स्त्रीनो प्राणनाथ अशे एवं धारी लग्न सारू तैयारी करवा मांडी. समुना उज्वल फीण जेवी जनकादार जाननी सामग्री तैयार करी. ॥ ६ ॥ श्रावी तुरत तिलकापुरी, सुरसेनो वरराज रे ॥ नृप सुता मंत्री पुत्री वरी, मन तणां सिधलां काज रे ॥था ॥ बेहु सुसरे मली दायजो,देश गज, वाजी रथ जोय रे ॥ तुरत संप्रेडी लेश सासरे, नृपति मंत्री सुता दोय रे ॥ श्राण ॥॥ अर्थ ॥ पछी शुरसेन वरराजा जान सहित तिलकापुरीए आव्या. राजपुत्री अने मंत्री पुत्रीनी साथे पाणि ग्रहण कयु. पोताना मनना धारेला कार्य सिद्ध कर्या ॥ ॥ बंने ससराए, हाथी, घोडा, रथनी जोडी विगेरे जे जे करीश्रावर कर्यो ते सर्वे सहित राजपुत्री तथा मंत्री पुत्रीने तेमने सासरे बोलाववामां आवी. ॥ ७॥ कंत साथे बेहु श्रावी, नगर वैराट मोकार रे ॥ सासुए सद्य वहुरोजणी, सों प्यो गृह तणो नार रे ॥ श्राए॥ विलसे सुख विषयना कंतथी, ते बेहु वाध ते वेश रे ॥ कहीए लोपे नही कुल वधू, सासू ससरानो निर्देश रे ॥ श्राारणा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005375
Book TitleChand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1905
Total Pages396
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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