SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 358
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 'चतुर्थ उखास. __ अर्थ ॥ मनुष्यो, देवता, असुरो, विद्याधरो तेमज सर्व पृथ्वीवर्ती जीवो चंदराजानी आझाने लोपी. शकता न हता तेवो प्रबल प्रत्नावतां, विमलगिरि राजना गुण गावामां एक क्षणवारपण जीन बंध रेहेती न हती. ॥ १५॥ राजाए पोताना यशःकीर्त्तिना पूंज समान महाविशाल अने जव्य जिन मंदिरो बंधाव्या तेमां सुविहित आचार्यो पासे अंजन शिलाका पूर्वक जिन बिंबोनी स्थापना हर्ष सहित करावी.१६ जे जे पुण्य तणी करणी, तेह करे महीपाल ॥ ते ॥ मोहन विजये चोथे उसासे, कही एकवीशमी ढाल ॥ कण ॥गो॥१७॥ अर्थ ॥ श्रनुक्रमे जे जे पुण्यनां कार्यो हतां ते सर्वे चंदराजाए काँ. ए प्रमाणे चोथा उवासमध्ये एकवीशमी ढाल मोहनविजयजी महाराजे कही. ॥ १७ ॥ ॥दोहा॥ श्रेहवे कानन पालके, विनव्यो नृपति सकाज ॥ समवसर्या कु सुमाकरे, मुनिसुव्रत जिनराज ॥२॥ ते निसुणी वन पालको, दीधो लक्ष्मी पूर ॥ प्रगट्यो हृदये चंदने, अनुजवनो अंकूर ॥२॥ अर्थ ॥ एवा अववरमां वनपालके श्रावीने चंद महाराजा जे निरंतर धर्म करणी कार्यों मांज काल निर्गमता हता तेने विनंति करीके हे महाराज! आपणी कुसुम वाटिकामां श्री मुनिसुव्रत जगवान समो सर्या ॥ १ ॥ ते वधामणी सांजलतांज वन पालकने लक्ष्मीवंत बनावी दीधो. तत्काल चंदरायना हृदयमां (आत्म स्वरूपना) अनुजवनो अंकुरो प्रगट थयो.॥॥ शण गार्या गज रथ तुरी, तेम आजा नर नार ॥ ससनुरि अंते जरी, पुत्रादिक मनोहार ॥३॥ सामैयु सुंदर सज्युं, गुहिर तूर निर्घोष ॥ सामंबर नृप परवर्यो, करवा समकित पोष ॥४॥ अर्थ ॥ पछी सामैयुं तैयार करवा आज्ञा करतां, हाथी, घोडा अने रथो तेमज आजा पुरीना नागरिकजनो, कान्ति युक्त सातसो राणी अने मनोहर पुत्रो विगेरे सर्व उत्तम सामग्रीवालुं सामैयुं सज कर्यु. डंकानिशान अने वाजींनोना चित्ताकर्षक नाद अवा लाग्या. एवी रीते सम्यग् दर्शनने पुष्ट करवा आबर सहित राजा समवसरण तरफ चाट्योः ॥ ३ ॥४॥ समवसरण निरख्यो नयण, साध्या अनिगम पंच ॥गढ लही शिवपद दृढ कयों, चंदे थ रोमांच ॥५॥ परपद निसरणी गणी, चढ्यो चंद सोपान ॥ नेट्यो अति नकते करी, केवल ज्ञान निधान ॥६॥ ___ अर्थ ॥ ज्यारे चंदराये समवसरण दी त्यारे तरतज तेणे पांच अनिगम जे राजा ए बत्रादितजनवा प्रमुख करवा जोइए ते साचव्या-तजी दीधा अने समवसरणना त्रणे गढने निहालतांज चंदरायने रोमांच थयो-रोमराजी हर्षथी विकस्वर थतांज मोक्पद दृढ कयु.॥ ५॥ समवसरणना पगथीआने मोक्षपदनी निसरणी मानी चंदराय पगथीए चड्यो भने केवलज्ञान नंडार श्रीमुनिसुव्रत महाराजने अत्यंत भक्ति पूर्वक नेटतो हवो.॥६॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005375
Book TitleChand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1905
Total Pages396
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy