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________________ चंदराजानो रास. १६७ कागल दी हो जाणे राणीने मल्यो, चंद धरानो हो पाल ॥ मोहने जाखी हो चौदमी चोथा उल्हासनी, निपट संयोगी हो ढाल ॥ ५० ॥ १५ ॥ अर्थ ॥ पृथ्वीपति चंद राजाए जेवो कागल दीगे तेवो वांचतांज जाणे ते राणीने श्रापो आप मट्यो होय तेवो तेने लास थयो. एवी रीते चोथा नवलास मध्ये चौदमी ढाल मोहन विजयजीमहाराजे खरेखरी संयोगी स्वरूपनी कही. ॥१५॥ ॥दोहा॥ प्रमदा पत्र थाव्या पली, चंद थयो चल चित्त ॥ उमाह्यो थाना जणी,जन्म नूमि सुपवित्त ॥१॥ पत्नणे लबी प्रेमला,पतिने सही उदास ॥ कहो स्वामी तुम वदननी,केम नविन थानास ॥२॥ अर्थ ॥ गुणावलीनो पत्र श्राव्या पनी चंद राजानुं चित्त चलायमान अयु. पोतानी पवित्र जन्मभूमि श्रानापुरी तरफ मननुं आकर्षण थयुं ॥१॥ तरतज प्रेमलालबीए पोताना पतिने उदास देखीने पुब्यु के हे स्वामिनाथ ! आपना मुखनी कांति आजे नविन प्रकारनी केम लागे ? ॥२॥ सहीतो निजपुर सांजणु, अथवा प्रथम जे नार ॥ सोरठमीनी गोठडी,नगमी पियु निरधार ॥३॥ चढी गुणावली चित्तजो,तो हां तेडो स्वाम ॥ तास वचन लोपीश नही, थ रहीश तस पाम ॥४॥ अर्थ ॥ मने तो एम नासे बे के आपने पोतार्नु नगर सांगरी आव्यु अथवा तो प्रथमनी परणेली गुणावती याद श्रावी. हे पियुजी आपने निश्चयथी आ सोरठनी प्रियानी गोष्ठि नज गमी ॥३॥ जो आपना अंतःकरणमां गुणावली वसी होय तो तेने हे नाथ ! अहीं तेडावो. तेणीनुं वचन हुँ लोपीश नही एटलुंज नहीं पण तेनी ताबेदार थश्ने रहीश. ॥४॥ सोंप्यो देशज मुज पिता, राज्य तमारे हाथ ॥ मोढे श्राव्यो कोलीज,केम मूको बो नाथ ॥५॥ चंद कहे चंडानने,प्रजा श्ररा जक तत्र ॥ ते माटे जावं श्रवस्य, श्राव्यु तिहांथी पत्र ॥ ६॥ अर्थ ॥ मारा पिताए पोताना आखा देश- राज्य आपना हाश्रमां सोंप्यु बे तेथी ते मोढे श्रावेला कोसीआने तजवानी केम श्वा राखो बो॥ ५॥ चंद राजाए कह्यु के हे चंमुखी ! त्यां आपणुं राज्य अने प्रजा, राजाविनाना होवाथी मने तेडाववानो पत्र आव्यो ने तेथी मारे अवस्य जवु जोए.॥६॥ सीमाडा बेड्या घणां, वीरमतीए जेह ॥ तिहां जश्ने रे रागिणी, वश करवा ने एह ॥७॥ अर्थ ॥ वली हे प्रेमी प्रिया ! वीरमतीए श्रापणा राज्यनी साधे संबंध राखता सीमाडाना घणां राजाउने बेड्या ने तेथी ते सर्वेने पण वश करवी जरूर वे ॥७॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005375
Book TitleChand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1905
Total Pages396
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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