SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 330
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १६. चतुर्थ उदास. अर्थ ॥ देवताउना परिवार सहित वीरमती विद्याना बलथी आकाश मार्गे अत्यंत रोषने बतावती बागल चाली ॥३॥ राणी मनमां विचारे के के हमणां चंदनो पराजय करी जय मेलवीश. परंतु कवि कहे जे के ते मुखर्जी जाणती नथीके हमणां मारूं राज्य खोइ बेसीश. ॥ ४॥ जेम नवि जाणे रंमिका, तेम त्यांथी सुर एक ॥ श्रागलथी जर विनवे, चंद नणी सुविवेक ॥५॥ महाराजा तुम उपरे, श्रावे अ विमात ॥ सावधान रेहेजो तमे, कहुं बुं बानी वात ॥६॥ अर्थ ॥ जेवी रीते ए वीरमतीना जाणवामां न आवी शके तेवी रीते एक देवता ते परिवारमाथी गुप्त रीते बुटो पडी अगाउथी आवीने चंदराजाने विवेक पूर्वक कहेवा लाग्यो॥ ५ ॥ हे महाराजा! तमारी उपर तमारी उरमान माता चडी आवे ने तेथी हवे तमे सावधान अश्ने रेहेजो. आ हुं तमने गुप्त नेद करूं बु.॥६॥ पुण्य प्रबल डे तुम तणुं, गंजी न शके एह ॥ तो पण रतन तणा यतन, करवा युक्त एह ॥७॥ अर्थ ॥ जो के तमारूं पुण्य प्रबल ने तेथी ए तमने हरावी शके तेम नथी, तो पण रत्ननुं जतन करवू ए वात पण व्यवहारमा करवा योग्य ॥ ७॥ ॥ ढाल १३ मी॥ ॥ श्रावोरे उलगाणा ताहरी कांकणीरे कुंबे ॥ ए देशी ॥ सांजली चंद नरेशरू रे, पाम्यो घणुं मनमाहिरे शाता ॥ जाणीजे यहां श्रावी साहमी, विमाता ॥ सुरवचने नृप पाखर्या रे, मोटा हय वर जेहरे ताता ॥ पकमेजे पंखीने खिणमां, उडतारे जाता ॥१॥ चंदे रण रसीयो यश् रे, अंगे.पेहेर्यो सन्नाहरे जारी ॥ जगमांहि को प्रगट्यो, उजो इश्वरावतारी ॥ बांधी घणे कसणे कसी रे, तनुमध्ये तर वार रे सारी ॥ कीधीरे जय वरवा राये, अश्वनी असवारी ॥२॥ अर्थ ॥ देवताए कहेली वात सांजलतांज चंदराजाना मनमा अत्यंत हर्ष अयो. तेणे मनमां विचार्युके आखरे मारी जैरमान माता मारी सामे श्रावी खरी. तेथी तरतज पोते सारांमां सारां जे अश्वरत्नो के जे उडता पंखीने पण क्षणवारमा पकडी पाडे एवा अश्वोने तैयार कर्या ॥ १॥ रण संग्रामनो रसीयो होय तेवीरीते चंदराजाए संरक्षक एवं नारे बख्तर धारण कयु. जाणे जगमां बीजो इश्वर प्रगट श्रयो एवो देखावा लाग्यो. मजबुत बंधन सहित केड उपर तलवारने लटकती बांधी; अने जय संपादन करवामाटे तरतज तेणे अश्वनी उपर स्वारी करी. ॥२॥ मृगया मिस चडी निसर्यो रे, सामंत सात हजार रे संगे ॥ न धरे जे पग पाबा कहिए, संगेरे उत्तंगे॥श्राव्यो विमलपुरी थकी रे, उबंधी बहु कोशरे रंगे ॥ निरखेडे वनवामी श्रामी, नेत्रने प्रसंगे ॥३॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005375
Book TitleChand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1905
Total Pages396
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy