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________________ चंदराजानो रास. २५१ कहे रे मुज पुत्री तणो, फोकट कपट करीने केम ते श्ररथ बिगाड्यो हो राज ॥ एहशी कुमति तुज उपनी, मुजने ते उहवीने सूतो सिंह जगाड्यो हो राज ॥७॥ श्रयुगत तुज मुख निरखवू, मुज तनुजा पीडाए तुजने होवे तमासो हो राज ॥ धिग तुज माय जे तुज जण्यो, सहि तो श्ण उरमतिथी जीवीश तीन पंचासा हो राज ॥ ७ ॥ अर्थ ॥ हे पापी ! तें विना कारणे कपट करीने मारी पुत्रीना हितने शामाटे नुकसान कर्यु. तने एवी माठी बुद्धि केम उत्पन्न अश् ? मने जे तें दुःख पमाडयुं ते सूता सिंहने मीने जगाडवानुं काम कयु बे॥॥ तारूं मुख जोवु ते पण अयुक्त ने. कारणके मारी दीकरीने पीमा थाय तेमां तारा मनने तमासा जेवू लागे. धिक्कार ने तारी माताने के तने जन्म आप्यो. श्रावी मानी बुद्धिथी मने खात्री ने के तारूं वेहेलु मोत आवशे. मात्र दोढसो वर्ष जीवीश. ( आटलु आयुष्य ते कालमां बहुज अटप समजवू ) ॥ ७ ॥ वधक पुरुषने तेडीया,वध करवा ते पांचे नूपे तेहने थाप्या हो राज ॥ बोल्यो चंद नृपति तेहवे,समय ते केम करी चूके जे करी मोटा थाप्या हो राज॥ए॥ अहो राजन् एह उपरे,श्रापणे शरणे जे श्राव्या कहो ते केम हणाये होराज॥ झुंझुंजो करीए झुंडा थकी, तुंमानो रूमानो किण विध नेद जणाये होराज ॥१०॥ अर्थ ॥ राजाए तत्काल वध करनारा चंडालोने बोलाव्या अने ते पांचेनो वध करवाने तेने सोप्या ए समये तरतज चंद राजाए कह्यु. कवि कहे जे के जेने कुदरते मोटा बनाव्या वे ते पोतानी महत्वता बताववानो समय आवे केम तेनो लाल लीधा विना रही शके ? ॥ ए॥ चंद राजाए कडं हे राजन् आप विचारशोके जे आपणे शरणे आव्या ते ने केवी रीते हणी शकाय? जो तुंमानी साथे आपणे शरणे आवेलानुं तेना जेवा अश् तेनुं हुंडं करीए तो सारा नगरानो नेद केवी रीते जाणी शकाशे? ॥१०॥ ए उपगारी थापणा, एहनी तो बलिहारी तुम श्रम जे हित जोड्यो हो राज ॥ अवगुण उपर गुण करे, तेहने किण ही प्रस्तावे कोणे नवि कुवखोड्यो हो राज ॥ ११॥ जो एहने जगारशो, तो जगमां तुम केरो वधशे सुयश घणेरो हो राज ॥ जाणशे तो घणुं ए थयु, एह, हवे नवि करशे देशे जो मनमां फेरो हो राज ॥ १२॥ अर्थ ॥ श्रापणे तो हवे एवोज विचार करवो के तेठतो आपणा खरेखरा उपकारी, एटलुज नहीं पण तेउने धन्यवाद घटे के तेउने सीधे आपणो अरसपरस संबंध जोडायो. वली नीति शास्त्रमा पण अवगण उपर गुण करनार पुरुषने कोऽ पण रीते कोड पण मनुष्ये कवखोडयो नथी ॥११॥ जो श्राप ए लोकोने बचावशो तो जगत्मां आपनो बहुज यश गवाशे. ए लोको पण पोताना मनमां विचार करशे तो तेउने माथे थवामां बाकी रही नथी जेथी हवे पठी आq काम कदापि करशे नही. ॥ १ ॥ तुम पुत्री करमे नमी, शुं करे एह बिचारा मुख तो एहनुं जोवो हो राज ॥ कोढी पण सुत एहनो, ते माटे एह उपर स्वामी सुप्रसन्न Jain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005375
Book TitleChand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1905
Total Pages396
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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