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________________ चंदराजानो रास. ॥ वसंत रूपी राजाने आवेलो जाणी घाटी वन लता रूपी प्रजा पुष्पथी वधावी फल दल रूपी नेट आपवा लागी छाने पछि मधुर वाणीथी स्तुति करवा लाग्यां ॥ ३ ॥ घटिता चंपक कुसुम, मुकुलित वृक्ष समीप ॥ जाएं तु राजाजी, कीधा मंगल दीप ॥ ४ ॥ अर्थ ॥ वृक्षोनी समीप कलीरूपे रहेलां चंपकनां पुष्पो जाणे वसंतरुतु रूपी राजाना दीप कर्या होय तेवा लागता हता ॥ ४ ॥ सपरिवार जानृपति, प्रजा सहित सोहंत ॥ १६ वनमां कामवश, रमवा काज वसंत ॥ ५ ॥ ॥ श्रानगरीनो राजा वीरसेन कामदेव वश थई परिवार साथे प्रजाजन सहित वसंत रमवाने वनमां श्रव्यो ॥ ५ ॥ बांटे आगल मंगल सर बांट, लाल गुलाल सोहंत ॥ सोहे मध्याने गगन, जाणे थयो प्रजात ॥ ६ ॥ अर्थ | वसंत क्रीडामां लाल गुलाल साथे केसरनां बांटणां थवा मांड्यां ते जाणे मध्यान्ह काल बतां प्रजात थयो होय तेम देखावा लाग्यं ॥ ६ ॥ चंद कुमर सेवक सहित, कुसुम थकी क्रीमंत ॥ वीरमतीने देखिने, मन निसनेह धरंत ॥ ७ ॥ अर्थ ॥ चंद कुमार सेवकोनी साथे पुष्पक्रीडा करे बे, ते जोइ राणी वीरमती मनमां स्नेह धरे बे ॥ ७ ॥ ॥ ढाल पांचमी ॥ वल वालोरे उमियाजीने लागुं पाय एवर आलोरे ॥ एदेशी ॥ राजा राणी रंगधीरे, खेले अनोपम खेलरे || नवली दीवी नायो, तिहां शशिवदनी गजगेल ॥ सुणो जवि प्राणीरे, चंद नरिंद संबंध | प्रतिरस अति रस श्राणी रे ॥ १ ॥ ए कणी ॥ ॥ राजा वीरसेन ने राणी वीरमती अनोपम रंगथी खेले बे, त्यां बीजी गजेंद्रना जेवी गतिवाली नवनवी चंद्र वदनी नारी पण जोवामां आवे छे. हे नविप्राणी मनमां तिरस लावी या चंदराजानो रास सांजलो. ॥ १ ॥ काचित तडें करीरे, उजी चंपक बायरें ॥ श्रांबा मानें फुलणां बांधी बाल हिंडोले माय ॥ सु०॥ २ ॥ • ॥ कोइ माता बालकने केड उपर तेडी चंपक वृदनी बाया नीचे उभी रही हती, कोइ खांबांनी डा साथे फुलं बांधी बालकने हींगोलामां हींचोलती हती ॥ २ ॥ र निज बालनेरे, जीने हीयडा साथरे ॥ के शिखावे हींडावj, निज सुतना ग्रही हाथ ॥ सु० ॥ ३ ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005375
Book TitleChand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1905
Total Pages396
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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